US-China Trade Talks: अमेरिका और चीन 90 दिनों के व्यापार युद्धविराम पर सहमत हुए थे. इस दौरान, दोनों देशों ने एक-दूसरे के सामानों पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ को कम कर दिया. अमेरिका ने चीनी सामानों पर टैरिफ घटाकर 30% कर दिया है. वहीं, चीन ने अमेरिकी प्रोडक्ट पर टैरिफ घटाकर 10% कर दिया. चीन ने अमेरिका को रेयर अर्थ मैग्नेट भेजना भी फिर से शुरू कर दिया, जो इलेक्ट्रॉनिक्स बनाने के लिए बेहद ही अहम हैं.
अब, दोनों देशों ने इस युद्धविराम को बढ़ाने का फैसला किया है. इसका मतलब है कि वो अपने व्यापार संबंधों में मौजूदा समस्याओं को हल करने के लिए खुद को और समय दे रहे हैं. इनमें से कुछ मुद्दों में रूस और ईरान जैसे देशों से तेल खरीदने से लेकर अन्य कई परेशानियां शामिल हैं. अमेरिका इस बात को लेकर भी चिंतित है कि कैसे फेंटेनाइल देश में लाई जा रही है, जो एक खतरनाक दवा है.अक्टूबर में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात भी हो सकती है. वो दक्षिण कोरिया में एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय बैठक के दौरान मिल सकते हैं.
अमेरिका और चीन के बीच सबसे बड़ी बहस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में इस्तेमाल होने वाले एडवांस कंप्यूटर चिप्स को लेकर चल रही है. हालांकि, ट्रंप ने हाल ही में इनमें से कुछ चिप्स को चीन को बेचना आसान बना दिया है, लेकिन इसके बाद भी समस्याएं बनी हुई हैं.एनवीडिया और एएमडी जैसी बड़ी अमेरिकी कंपनियों को अब एक्सपोर्ट की अनुमति प्राप्त करने के लिए अमेरिकी सरकार को 15% हिस्सा देना होगा.यह हिस्सा चीन से जो आया एआई चिप को लेकर होगी, उस पर देना होगा.
ट्रंप ने यह भी कहा कि वह एनवीडिया को अपने टॉप चिप का एक कम पावरफुल वर्जन चीन को बेचने की अनुमति दे सकता है.साथ ही कहा है, "संभव है कि मैं एक सौदा कर लूं." फिर भी, जुलाई में, चीनी अधिकारियों ने एनवीडिया को उसके एक चिप से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं पर बात करने के लिए बुलाया, जिससे पता चलता है कि विश्वास की अभी भी कमी है.