नई दिल्ली : पूर्व अमेरिकी केंद्रीय खुफिया एजेंसी (CIA) अधिकारी जॉन किरियाको ने खुलासा किया है कि पाकिस्तान के परमाणु बम के जनक और प्रमुख तकनीकी आपूर्तिकर्ता अब्दुल कादिर खान को खत्म न करने का फैसला अमेरिकी सरकार ने सऊदी अरब के प्रत्यक्ष हस्तक्षेप के कारण किया. खान को पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम का मुख्य व्यक्ति माना जाता है, जिसने देश को दुनिया की पहली इस्लामी परमाणु शक्ति बनाया.
एएनआई को दिए साक्षात्कार में किरियाको, जिन्होंने CIA में 15 साल तक विश्लेषक और आतंकवाद-रोधी अभियानों में काम किया, ने बताया कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी को खान के बारे में पूरी जानकारी थी, जिसमें उनका स्थान और दैनिक गतिविधियां शामिल थीं. उन्होंने कहा, 'मेरा एक सहयोगी ए.क्यू. खान से निपट रहा था. अगर हमने इज़राइली तरीका अपनाया होता, तो हम उसे मार ही डालते. उसे ढूंढना आसान था. हम जानते थे कि वह कहां रहता है और अपना दिन कैसे बिताता है.'
किरियाको ने कहा कि सऊदी अरब के समर्थन के कारण ऑपरेशन रोक दिया गया. उन्होंने बताया कि सऊदी सरकार ने हमारे पास आकर कहा, 'कृपया उसे अकेला छोड़ दीजिए. हमें ए.क्यू. खान पसंद हैं. हम ए.क्यू. खान के साथ काम कर रहे हैं. बस उसे अकेला छोड़ दीजिए.'
पूर्व एजेंट ने आगे बताया कि बाद में सीनेट की विदेश संबंध समिति के साथ काम करते समय उन्हें पता चला कि CIA और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के अधिकारियों ने पुष्टि की थी कि व्हाइट हाउस ने खान को खत्म न करने का आदेश दिया था. उन्होंने कहा कि ऐसा केवल सऊदी दबाव के कारण ही संभव हुआ.
किरियाको ने यह भी दावा किया कि सऊदी अरब द्वारा खान को संरक्षण देना उसकी खुद की परमाणु महत्वाकांक्षाओं से जुड़ा हो सकता है. उन्होंने कहा, 'संभावना है कि सऊदी अरब भी अपनी परमाणु क्षमता विकसित करना चाहता था, इसलिए उन्होंने खान को सुरक्षा प्रदान की.'
अब्दुल कदीर खान का जन्म 1936 में अविभाजित भारत के भोपाल में हुआ. 1952 में परिवार के साथ वे पाकिस्तान चले गए. उन्हें विश्व के सबसे कुख्यात परमाणु तस्करों में से एक माना जाता था, जिन्होंने उत्तर कोरिया, ईरान और लीबिया जैसी देशों को परमाणु तकनीक और जानकारी की आपूर्ति की. खान का निधन 2021 में इस्लामाबाद में 85 वर्ष की आयु में हुआ.