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India Daily

पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा पर गहराया संकट, खैबर पख्तूनख्वा के कई इलाके सेना के लिए 'नो-गो जोन'!

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने कई ट्राइबल इलाकों पर नियंत्रण बढ़ा लिया है. TTP के लड़ाके सड़कों पर चेकपोस्ट लगा रहे हैं, धन वसूली और भर्ती कर रहे हैं. सुरक्षा बल घनी आबादी वाले इलाकों में कार्रवाई से हिचक रहे हैं, जिससे पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा पर गंभीर संकट गहराया है.

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Edited By: Kanhaiya Kumar Jha
TTP & Pakistani Army
Courtesy: Gemini AI

नई दिल्ली: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के कई जनजातीय जिलों में सरकारी नियंत्रण तेजी से कमजोर होता दिखाई दे रहा है. सूत्रों के मुताबिक, तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान  (TTP) और इसके सहयोगी समूहों ने डुरंड लाइन के पास स्थित खैबर, कुर्रम, उत्तर व दक्षिण वजीरिस्तान और बाजौर जैसे इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है.

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इन क्षेत्रों में अब कई इलाके सेना के लिए 'नो-गो ज़ोन' बन चुके हैं. TTP के लड़ाके प्रमुख सड़कों पर चेकपोस्ट स्थापित कर रहे हैं, जिनमें पेशावर–खैबर रोड, हंगू–कुर्रम मार्ग, बन्नू–डेरा इस्माइल खान मार्ग और बाजौर के कुछ हिस्से शामिल हैं. स्थानीय निवासियों का कहना है कि उग्रवादी वाहनों की जांच कर रहे हैं, पहचान पत्र देख रहे हैं और जिहाद के नाम पर धन वसूली कर रहे हैं.

क्या सत्ता के लिए स्पष्ट चुनौती है TTP की बढ़ती सक्रियता?

TTP के मीडिया विंग ने हाल ही में अपने लड़ाकों की चेकपोस्ट संभालते हुए तस्वीरें जारी कीं, जो पाकिस्तानी सरकार की सत्ता के लिए एक स्पष्ट चुनौती मानी जा रही हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इंटेलिजेंस एजेंसियों का मानना है कि संगठन अब ग्रामीण इलाकों से शहरों के बाहरी हिस्सों की ओर बढ़ रहा है. पेशावर के बदाबेर, मत्तानी और बर रोड जैसे क्षेत्रों में TTP ने अर्द्ध-स्थायी लॉजिस्टिक और वसूली केंद्र बना लिए हैं, जो उन्हें हथियारों के भंडारण, नए लड़ाकों की भर्ती और वित्तीय संसाधन जुटाने में मदद कर रहे हैं.

TTP का तालिबान मॉडल कैसे पाकिस्तानी सेना के लिए बना सरदर्द?

खैबर-मोहमंद बेल्ट में पुलिस चौकियों के पीछे हटने से TTP ने समानांतर प्रशासनिक ढांचे खड़े कर लिए हैं. यह रणनीति अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा अपनाए गए मॉडल से मिलती-जुलती है, पहले ग्रामीण इलाकों पर नियंत्रण, फिर धीरे-धीरे शहरों की ओर बढ़ना.

सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तानी सुरक्षा बल घनी आबादी वाले इलाकों में कार्रवाई करने से हिचक रहे हैं, क्योंकि वहां स्थानीय समर्थन TTP के पक्ष में है और हताहत होने का खतरा अधिक है. बताया जा रहा है कि कई पंजाबी सैनिकों ने इन अस्थिर इलाकों में तैनाती से इनकार कर दिया है, जिससे सेना अब रक्षात्मक निगरानी पर निर्भर हो गई है.

पाकिस्तान के लिए गंभीर आंतरिक सुरक्षा संकट

विशेषज्ञों का कहना है कि खैबर पख्तूनख्वा की मौजूदा स्थिति पाकिस्तान के लिए हाल के वर्षों का सबसे गंभीर आंतरिक सुरक्षा संकट है. TTP के लड़ाके खुलेआम सड़कों पर गश्त कर रहे हैं, पैम्फलेट बांट रहे हैं और धन एकत्र कर रहे हैं. यह न केवल राज्य नियंत्रण को चुनौती दे रहा है, बल्कि पाकिस्तान की उत्तर-पश्चिमी सीमाओं पर शासन की कमजोर पकड़ को भी उजागर कर रहा है.