US Work-Life Balance: कभी वर्क-लाइफ बैलेंस की मिसाल माने जाने वाले अमेरिका, खासकर सिलिकॉन वैली, में काम का माहौल तेजी से बदल रहा है. वह दौर, जब टेक कंपनियां कर्मचारियों को लचीले समय, आरामदायक ऑफिस और पर्याप्त छुट्टियों के लिए जानी जाती थीं, अब बीते समय की बात लगने लगा है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में चीन से बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने अमेरिकी कंपनियों को नए, लेकिन बेहद सख्त वर्क शेड्यूल अपनाने पर मजबूर कर दिया है. इसमें सबसे चर्चित है चीन का ‘996 वर्क शेड्यूल’.
‘996’ नाम का यह मॉडल चीन में एक समय बेहद लोकप्रिय था. इसके तहत कर्मचारियों को सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक, हफ्ते में 6 दिन काम करना पड़ता है-यानी करीब 72 घंटे साप्ताहिक कार्य. लंबे समय तक इस मॉडल पर काम करने के बाद चीन में कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ा और कई जगह इसका विरोध शुरू हुआ. आखिरकार, इसे आधिकारिक तौर पर हतोत्साहित किया गया.
फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में कई AI स्टार्टअप्स अब इस मॉडल को अपना रहे हैं. उदाहरण के लिए, सैन फ्रांसिस्को स्थित AI स्टार्टअप Rilla ने अपनी जॉब पोस्टिंग में साफ लिखा—“अगर आप हफ्ते में 70 घंटे काम करने को तैयार नहीं हैं, तो अप्लाई न करें.” यह दर्शाता है कि कंपनियां ऐसे कर्मचारियों को प्राथमिकता दे रही हैं, जो मानसिक और शारीरिक रूप से लंबे समय तक काम करने के लिए तैयार हों.
इस बदलाव की सबसे बड़ी वजह है AI इंडस्ट्री में बढ़ती वैश्विक प्रतिस्पर्धा. हाल ही में चीन की DeepSeek AI ने ऐसा मॉडल पेश किया जिसने OpenAI और Google DeepMind जैसी अमेरिकी दिग्गज कंपनियों को चुनौती दी. इसने सिलिकॉन वैली में हलचल मचा दी है, और अब कई कंपनियों का मानना है कि सिर्फ अधिक घंटे काम करवाकर ही वे चीन को टक्कर दे सकती हैं.
चीन में 996 वर्क कल्चर के कारण ओवरवर्क, तनाव, और ‘सडन डेथ’ जैसे मामले सामने आ चुके हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यही पैटर्न अमेरिका में भी लागू हुआ, तो कर्मचारियों का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य गंभीर खतरे में पड़ सकता है.
वेंचर कैपिटलिस्ट हैरी स्टेबिंग्स ने तो 996 को भी पुराना बताते हुए 007 वर्क शेड्यूल की वकालत कर दी जिसमें सुबह 12 बजे से रात 12 बजे तक, हफ्ते के सात दिन काम करना पड़ता है. भले ही यह विचार अतिशयोक्तिपूर्ण लगे, लेकिन यह साफ संकेत है कि AI रेस में वर्क-लाइफ बैलेंस पीछे छूट रहा है.