दारफुर की धरती पर एक बार फिर गोलियों और बमों की गूंज सुनाई दी, जब सूडानी वायुसेना ने नयाला एयरपोर्ट को निशाना बनाते हुए एक संदिग्ध अमीराती सैन्य विमान को उड़ा दिया. इस हमले में करीब 40 किराए के सैनिक मारे गए, जो कथित तौर पर कोलंबिया से आए थे. यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब सूडान पहले से ही भीषण गृहयुद्ध, विदेशी हस्तक्षेप और मानवीय संकट से जूझ रहा है.
बुधवार को हुए इस हमले में सूडानी सेना ने दावा किया कि नयाला एयरपोर्ट आरएसएफ (रैपिड सपोर्ट फोर्सेज) का सैन्य अड्डा बन चुका था, जहां हथियारों की खेप और भाड़े के सैनिक पहुंचाए जा रहे थे. सेना के मुताबिक, यह विमान खाड़ी क्षेत्र के एक सैन्य ठिकाने से उड़ान भरकर नयाला पहुंचा था. जैसे ही यह विमान उतरा, सूडानी लड़ाकू विमानों ने उसे निशाना बनाया और ध्वस्त कर दिया. हमले में हथियारों और सैन्य उपकरणों की एक बड़ी खेप भी नष्ट हो गई.
सूडानी सरकारी टीवी ने इस हमले को "विदेशी हस्तक्षेप के खिलाफ स्पष्ट संदेश" और "नई रोकथाम की नीति" बताया. हालांकि यूएई ने इन आरोपों को पहले भी खारिज किया है कि वह आरएसएफ का समर्थन कर रहा है. कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेत्रो ने भी इस घटना पर संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्टों में पहले भी यह पुष्टि हुई थी कि दारफुर में कोलंबियाई भाड़े के सैनिक मौजूद हैं, जिन्हें एक निजी सुरक्षा कंपनी ने आरएसएफ के लिए नियुक्त किया था.
इस हमले के बाद सूडानी नागरिक उड्डयन प्राधिकरण ने आरोप लगाया कि यूएई ने सूडानी विमानों को अपने हवाई अड्डों पर उतरने से रोक दिया है. अबू धाबी हवाई अड्डे पर एक सूडानी विमान को उड़ान भरने से भी रोक दिया गया. पहले से ही यूएई पर आरएसएफ को समर्थन देने के आरोपों के कारण सूडान ने इस साल की शुरुआत में राजनयिक संबंध तोड़ दिए थे. दोनों देशों के बीच यह तनाव अब खुले टकराव का रूप ले रहा है.
अमेरिका स्थित येल यूनिवर्सिटी के ह्यूमैनिटेरियन रिसर्च लैब की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि आरएसएफ ने उत्तरी दारफुर की राजधानी एल-फाशेर पर पूरी तरह नाकाबंदी कर दी है. शहर से बाहर निकलने के लिए नागरिकों को आरएसएफ के चेकप्वाइंट से गुजरना पड़ता है. बीते महीनों में आरएसएफ ने यहां के बाजारों, स्कूलों और मस्जिदों पर भी हमले किए हैं. इससे पहले, आरएसएफ ने जामजाम विस्थापित शिविर पर कब्जा कर सैकड़ों लोगों की हत्या की और हजारों को पलायन करने पर मजबूर किया था. दारफुर में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसे युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध के रूप में देख रहा है.