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India Daily

'तुम चलो, मैं हाथ धोकर आता हूं'- BJ हॉस्टल हादसे में मात्र दो मिनट ने बदल दी दो दोस्तों की किस्मत

आर्यन के भाई ने बताया कि वह असाधारण था. उसने बिना कोचिंग के नीट में 700 में से 720 अंक लाकर अपने दम पर मेडिकल प्रवेश परीक्षा पास की थी.  

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Aryan Rajput

12 जून को अहमदाबाद के बी जे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में एयर इंडिया का विमान दुर्घटनाग्रस्त होने से पहले, दो मिनट ने एमबीबीएस छात्र आर्यन राजपूत और उनके दोस्त की किस्मत को हमेशा के लिए बदल दिया. दोपहर करीब 2 बजे, दोनों मेडिकल छात्र हॉस्टल के मेस में खाना खा रहे थे. आर्यन ने अपना मोबाइल अपने दोस्त को देते हुए कहा, "तुम चलो. मैं हाथ धोकर आता हूं."

तभी हॉस्टल से टकराया विमान

दोस्त मेस से बाहर निकल गया, जबकि 20 वर्षीय आर्यन हाथ धोने के लिए रुका. उसी पल विमान इमारत से टकराया और सब कुछ बदल गया. दस मिनट के भीतर, आर्यन का दोस्त, जो सदमे में था लेकिन जीवित था, ने आर्यन के फोन से उनके ग्वालियर में रिश्तेदार को फोन किया: "आप जल्दी से आ जाइए. आर्यन घायल हो चुका है. उसे आईसीयू में भर्ती किया गया है."  

परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

मध्य प्रदेश के जिकसौली गांव से आर्यन का परिवार तुरंत अहमदाबाद पहुंचा, लेकिन वहां उन्हें पता चला कि आर्यन की मृत्यु हो चुकी है. जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन्स के सदस्य डॉ. धवल घमेती ने बताया, "आर्यन द्वितीय वर्ष का एमबीबीएस छात्र था. विमान दुर्घटना के समय वह मेस में मौजूद था. उसने चोटों के कारण दम तोड़ दिया. उसका शव परिवार को सौंप दिया गया है."

बिना कोचिंग के पहले प्रयास में पास की थी नीट की परीक्षा

आर्यन के चचेरे भाई भीकम सिंह ने कहा, "विमान दुर्घटना के दस मिनट बाद आर्यन के रूममेट ने हमें फोन किया. आर्यन खाना खाने मेस गया था. तभी यह आपदा आई और मेरा भाई चला गया." आर्यन की कहानी असाधारण थी. बिना कोचिंग के नीट में 700 में से 720 अंक लाकर उन्होंने अपने दम पर मेडिकल प्रवेश परीक्षा पास की थी.  

भीकम ने गर्व और गहरे दुख के साथ कहा, "उसने पहली कोशिश में 700 अंक हासिल किए. शहरों में महंगे कोर्स और विशेषज्ञ मार्गदर्शन के बीच, आर्यन ने गांव में इंटरनेट से मिली सामग्री और अपनी दृढ़ता के बल पर यह मुकाम हासिल किया."  

गांव वालों में लोकप्रिय हो गया था आर्यन
आर्यन के किसान पिता रामहेत राजपूत का एकमात्र सपना था कि उनका छोटा बेटा डॉक्टर बने. हर शाम 9 बजे आर्यन अपने पिता को फोन करता और अपनी दिनचर्या साझा करता. गांव में उसकी लोकप्रियता ऐसी थी कि लोग उसे घेर लेते थे. भीकम ने बताया, "वह कहता था, 'आप सब की सेवा करूंगा.'" जिकसौली गांव में अब सन्नाटा है. सरपंच पंकज सिंह करार ने कहा, "आर्यन की मां को अभी उनके निधन की खबर नहीं दी गई है. हम सब अंतिम संस्कार तक समय निकाल रहे हैं."