केरल की नर्स निमिषा प्रिया, जिन पर 2017 में यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप है, उनके मामले में एक नया और महत्वपूर्ण मोड़ आया है. निमिषा की फांसी को 15 जुलाई को अस्थायी रूप से टाल दिया गया, लेकिन तलाल के परिवार ने अब चुप्पी तोड़ते हुए किसी भी तरह की सुलह या माफी से साफ इंकार कर दिया है. तलाल के भाई अब्देलफत्ताह महदी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उनका परिवार निमिषा के लिए सजा-ए-मौत की मांग पर अडिग है. इस घटनाक्रम ने निमिषा के भविष्य पर फिर से अनिश्चितता के बादल मंडराने शुरू कर दिए हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, केरल की नर्स निमिषा प्रिया और उनके परिवार के लिए 15 जुलाई का दिन एक बड़ी राहत लेकर आया, जब उनकी फांसी को आखिरी क्षणों में टाल दिया गया. यह फांसी 16 जुलाई को निर्धारित थी. हालांकि, इस निर्णय के पीछे के कारणों पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, भारत के एक प्रमुख मुस्लिम विद्वान, जिन्हें 'ग्रैंड मुफ्ती ऑफ इंडिया' के नाम से जाना जाता है, उन्होंने इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
निमिषा प्रिया को अस्थायी राहत
केरल के सुन्नी नेता कंथापुरम एपी अबूबक्कर मुस्लियार ने यमन में एक सूफी विद्वान की मदद से सुलह के लिए बातचीत शुरू की. इन विद्वानों के प्रतिनिधियों ने तलाल के परिवार के साथ मुलाकात की और निमिषा की फांसी को रोकने के लिए चर्चा की. ग्रैंड मुफ्ती ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, "इस्लाम में हत्या के बदले 'दियात' यानी मुआवजे की प्रथा भी मौजूद है. मैंने तलाल के परिवार से अनुरोध किया कि वे निमिषा के परिवार की ओर से पेश किए गए मुआवजे को स्वीकार करें. इस पर चर्चा चल रही है कि मेरा अनुरोध स्वीकार किया जाएगा या नहीं."इसके अलावा, भारतीय सरकार भी यमन में निजी स्तर पर कुछ लोगों के संपर्क में थी ताकि निमिषा के परिवार को तलाल के परिवार के साथ आपसी सहमति से कोई समाधान निकालने के लिए अतिरिक्त समय मिल सके.
यमन पीड़ित के परिवार का रुख
निमिषा की फांसी टलने के एक दिन बाद, तलाल अब्दो महदी के भाई अब्देलफत्ताह महदी ने फेसबुक पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने निमिषा की सजा-ए-मौत की मांग को दोहराया. अरबी में लिखी इस पोस्ट को हिंदुस्तान टाइम्स ने वैरीफाई किया है. अब्देलफत्ताह ने लिखा, "आज जो मध्यस्थता और सुलह की कोशिशें सामने आ रही हैं, वे नई या आश्चर्यजनक नहीं हैं. वर्षों से कई बार ऐसी गुप्त कोशिशें हुई हैं, लेकिन कोई दबाव हमारी सोच को बदल नहीं सका. हमारा एकमात्र लक्ष्य प्रतिशोध है, और कुछ नहीं.
जानें निमिषा प्रिया का क्या है पूरा मामला?
निमिषा प्रिया, जो अपनी पेशेवर जिम्मेदारियों के लिए यमन गई थीं, उन्होंने 2014 में तलाल अब्दो महदी के साथ मिलकर एक क्लिनिक शुरू किया था. हालांकि, बाद में तलाल ने कथित तौर पर निमिषा के साथ शारीरिक दुर्व्यवहार किया और उन्हें धमकियां दीं. 2017 में, निमिषा ने यमन से भागने के लिए अपना पासपोर्ट तलाल से वापस लेने की कोशिश की. इस दौरान, उन्होंने तलाल को बेहोश करने के लिए दवा दी, लेकिन दवा की मात्रा अधिक हो जाने से तलाल की मृत्यु हो गई. तीन साल बाद, 2020 में निमिषा को मौत की सजा सुनाई गई, और 2023 में इस सजा को बरकरार रखा गया. 16 जुलाई 2025 को उनकी फांसी निर्धारित थी, लेकिन अब इसे अस्थायी रूप से टाल दिया गया है.
निमिषा प्रिया का भविष्य क्या?
निमिषा की फांसी टलना उनके परिवार और मध्यस्थों के लिए एक बड़ी जीत है, लेकिन उनका अंतिम लक्ष्य निमिषा को स्थायी रूप से बचाना और उन्हें भारत वापस लाना है. तलाल के परिवार की ओर से सुलह से इंकार करने के बाद, यह संदेह फिर से गहरा गया है कि क्या निमिषा को माफी मिल पाएगी. यमन की शरिया कानून के तहत 'दियात' प्रावधान के तहत माफी की संभावना थी, लेकिन परिवार की कठोर प्रतिक्रिया ने इस रास्ते को और जटिल बना दिया है.