Amit Shah: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अहमदाबाद में 5वें अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन के दौरान हिंदी दिवस 2025 पर AI आधारित बहुभाषी अनुवाद सारथी मंच लॉन्च किया. इस दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि “हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में कोई टकराव नहीं है.” शाह ने हिंदी को केवल बोलचाल या प्रशासनिक भाषा तक सीमित न रखकर इसे विज्ञान, प्रौद्योगिकी, न्याय और पुलिसिंग की भाषा बनाने का आह्वान किया.
शाह ने भाषा आधारित राष्ट्र निर्माण पर जोर देते हुए कहा, “देश की भाषाई विविधता इसकी ताकत है, न कि विभाजन का कारण.” उन्होंने हिंदी को आधुनिक बनाने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा, “हिंदी को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, न्यायपालिका और पुलिस की भाषा बनना चाहिए.” उनका मानना है कि जब शासन और सार्वजनिक सेवाएं भारतीय भाषाओं में होंगी, तभी जनता से सच्चा जुड़ाव होगा.
बहुभाषी अनुवाद सारथी की शुरुआत
इस अवसर पर शाह ने बहुभाषी अनुवाद सारथी मंच की शुरुआत की, जो भारत की भाषाई विविधता को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. उन्होंने कहा, “कोई भी राज्य सरकार अब अपनी भाषा में - चाहे तमिल, तेलुगु, मलयालम, बंगाली, पंजाबी या मराठी - केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिख सकती है, और हमारा जवाब उसी भाषा में अनुवादित होकर मिलेगा.” यह मंच भाषाई समावेशिता को बढ़ावा देने में अहम साबित होगा.
मातृभाषा और हिंदी का संतुलन
गुजरात का उदाहरण देते हुए शाह ने बताया कि महात्मा गांधी, दयानंद सरस्वती, सरदार वल्लभभाई पटेल और केएम मुंशी जैसे नेताओं ने हिंदी को बढ़ावा दिया, लेकिन स्थानीय भाषाओं को कभी कमतर नहीं किया. उन्होंने कहा, “इसी कारण गुजरात का बच्चा पूरे भारत में कहीं भी जाकर व्यवसाय कर सकता है और समझा जा सकता है.”
मातृभाषा में शिक्षा का महत्व
शाह ने माता-पिता से अपील की कि वे अपने बच्चों से मातृभाषा में बात करें. उन्होंने कहा, “बच्चा अपनी मातृभाषा में सोचता है. जब उस पर दूसरी भाषा थोपी जाती है, तो उसकी 30% मानसिक ऊर्जा अनुवाद में चली जाती है.” उन्होंने भाषाई जड़ों को संज्ञानात्मक विकास और राष्ट्रीय प्रगति से जोड़ा.
हिंदी शब्द सिंधु: एक ऐतिहासिक कदम
शाह ने हिंदी शब्द सिंधु परियोजना की भी सराहना की, जो 51,000 शब्दों से शुरू होकर अब सात लाख शब्दों को पार कर चुकी है. उन्होंने कहा कि यह 2029 तक दुनिया का सबसे बड़ा शब्दकोश बन जाएगा. उन्होंने चेतावनी दी, “हमें समय के साथ अपनी भाषा को अनुकूलित करना होगा. जो बदलाव नहीं करते, वे इतिहास बन जाते हैं,”
भाषा और आत्मनिर्भर भारत
शाह ने कहा, “संस्कृत ने हमें ज्ञान की गंगा दी, हिंदी ने उस ज्ञान को हर घर तक पहुंचाया, और हमारी स्थानीय भाषाओं ने इसे संरक्षित किया.” उन्होंने हिंदी और मातृ भाषाओं को मजबूत कर आत्मविश्वास से भरे भारत के निर्माण का आह्वान किया.