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क्या पीएम मोदी के चुनावी जाल से निकल पाएगी कांग्रेस, या पुराने फॉर्मूले से फिर जीतेगी BJP

Loksabha Elections 2024: पीएम मोदी ने सोमवार को जब अपने दूसरे कार्यकाल की आखिरी स्पीच लोकसभा में दी तो इस दौरान उन्होंने कांग्रेस और गांधी परिवार पर जमकर हमला बोला. हालांकि इस स्पीच के साथ ही पीएम ने कांग्रेस को बाइनरी ट्रैप में बांध लोकसभा चुनाव की नींव रखी है. ऐसे में अब सवाल है कि क्या कांग्रेस इस ट्रैप से बाहर निकल पाएगी.

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Vineet Kumar

Loksabha Elections 2024: करीब 2 हफ्ते पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूपी के बुलंदशहर में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे तो उन्होंने मीडिया की उन खबरों पर बात की जिसमें कहा जा रहा था कि पीएम मोदी बुलंदशहर से लोकसभा चुनावों का बिगुल बजाने जा रहे हैं. इस जनसभा में पीएम मोदी ने कहा था कि मोदी कभी भी चुनावी बिगुल नहीं बजाता है, बल्कि लोग खुद से उनके लिए बिगुल बजा देते हैं और जब वो ऐसा करते हैं तो मोदी को अपना समय चुनावों का आगाज करने में खर्च नहीं करना पड़ता. वो लोगों के चरणों में बैठकर सेवा भाव से उनके लिए काम करता रहता है.

हालांकि लोकसभा में जब पीएम मोदी  अपनी 17वीं और दूसरे कार्यकाल की आखिरी स्पीच दे रहे थे तो उन्होंने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला और लोकसभा में अपनी पार्टी के लक्ष्य को साफ कर दिया कि जहां NDA 400 से ज्यादा सीटों को जीतने पर नजर गड़ाए हुए है तो वहीं पर बीजेपी का लक्ष्य अकेले 370 सीट जीतना है.

इंडिया के बजाय कांग्रेस पर जमकर साधा निशाना

पीएम मोदी ने अपने 90 मिनट के भाषण के दौरान विपक्ष पर जमकर हमला किया लेकिन इस दौरान जो ध्यान देने वाली बात थी वो ये कि उन्होंने इंडिया गठबंधन के बजाय कांग्रेस और गांधी परिवार को ही फोकस रखा. पीएम मोदी पहले इंडिया गठबंधन पर हमलावार होते हुए उसे घमंडिया गठबंधन बता चुके हैं लेकिन इस स्पीच के दौरान उनके हमले गांधी परिवार और कांग्रेस के इर्द-गिर्द ही घूमते नजर आए.

ऐसे में सवाल यह है कि पीएम मोदी अपने दूसरे कार्यकाल की आखिरी स्पीच के दौरान इंडिया गठबंधन के बजाय अपना कद खो चुकी कांग्रेस को इतनी तरजीह क्यों दे रहे थे. खास तौर से तब जब विपक्ष की लगभग 3 दर्जन राजनीतिक पार्टियां एक जुट होकर लोकसभा चुनाव में किसी भी तरह से उन्हें हराने की जुगत में लगी हुई हैं. आइए हम इसका जवाब देने की कोशिश करते हैं.

आखिर क्या है बीजेपी का डबल ट्रैप

पिछले दो लोकसभा चुनावों पर नजर डालें तो पीएम मोदी के भाषणों में एक चीज कॉमन नजर आती है वो है उनका कांग्रेस बनाम देश का नरेटिव,पीएम मोदी ने जब भी बात की तो हमेशा कांग्रेस के कार्यकाल की विफलताओं और अपनी सरकार की सफलताओं पर चर्चा की. पीएम मोदी की इस रणनीति ने उन्हें पिछले दो संसदीय चुनावों में खास फायदा भी पहुंचाया, शायद यही वजह है कि वो इस लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस बनाम बीजेपी और यूपीए बनाम एनडीए की बाइनरी को जिंदा रखना चाहते हैं. अगर वो इंडिया गठबंधन पर अपना फोकस रखेंगे तो शायद वो इस गठबंधन को मान्यता दे देंगे, लेकिन किसी भी हाल में विपक्षी गठबंधन को पहचान से महरूम रखना चाहती है.

200 सीटों पर कांग्रेस से है सीधी टक्कर

इतना ही नहीं हिंदी भाषी क्षेत्रों के करीब 200 चुनावी सीटों पर बीजेपी को कांग्रेस से सीधी लड़ाई लड़नी है, ऐसे में अगर नरेटिव बीजेपी बनाम कांग्रेस का ही रहेगा तो वहां भारतीय जनता पार्टी ज्यादा मजबूती से खड़ी नजर आएगी. यही वजह है कि पीएम मोदी न सिर्फ कांग्रेस को बल्कि उसकी लीडरशिप और आइडियॉलजी पर भी आक्रामक रुख अख्तियार किए हुए हैं. जहां एक ओर राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा को जारी रखते हुए मंगलवार की शाम को झारखंड से ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में पहुंच गए हैं तो वहीं दूसरी ओर विपक्षी गठबंधन में जुड़ी पार्टियों के नेता अपनी डपली अपना राग की तर्ज पर अलग-थलग होते नजर आ रहे हैं.

कांग्रेस के सामने है दोहरी चुनौती

सीट शेयरिंग पर बात न बन पाने और पीएम पद का कोई प्रभावी चेहरा न हो पाने के चलते इंडिया गठबंधन कितने टिकेगा इसको लेकर भी लगातार सवाल हो रहे हैं. ओडिशा पहुंचे राहुल गांधी और कांग्रेस को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. राहुल गांधी को न सिर्फ आगामी लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी की साख बचाने के लिए प्रचार करना है बल्कि पीएम मोदी की कोशिशों को नकारते हुए बाइनरी ट्रैप से बचना होगा. राहुल गांधी को अपने संदेश में साफ करना होगा कि ये चुनाव मोदी बनाम राहुल,कांग्रेस बनाम बीजेपी या फिर NDA बनाम UPA से बड़ा है.

कैसे इस चुनौती से बाहर निकल सकती है कांग्रेस

अगर कांग्रेस ये संदेश देने में कामयाब हो जाती है तो अगली चुनौती विपक्षी गठबंधन की प्रासंगिकता को बनाए रखना होगा. अभी तक के सफर की बात की जाए तो न्याय यात्रा के दौरान कांग्रेस मुद्दों से भटकी नहीं है और बेरोजगारी, महंगाई समेत तमाम मुद्दों पर सरकार को घेरती नजर आई है, लेकिन पीएम मोदी की ओर से जिस तरह से लोकसभा चुनावों का माहौल तैयार किया जा रहा उसे देखते हुए कांग्रेस के लिए बीजेपी के डबल बाइनरी ट्रैप से बचना एवरेस्ट चढ़ने जितना ही मुश्किल नजर आ रहा है. विपक्षी गठबंधन को सीट-बंटवारे के साथ-साथ जमीनी स्तर पर चलने वाली चुनावी तैयारियों में तेजी लानी होगी.

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