संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया है कि IAS ट्रेनी पूजा खेडकर की जाति और दिव्यांगता सर्टिफिकेट की जांच की जाए. पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी जाति प्रमाणपत्र और दिव्यांगता प्रमाणपत्र बनाकर, सिविल सेवा में रैंक हासिल की है. केंद्रीय समिति के सामने उन्होंने कहा है कि सच सामने आएगा. वे खुद को निर्दोष बता रही हैं.
UPSC ने महाराष्ट्र सरकार को 12 जुलाई को ही एक चिट्ठी लिखी थी. आयोग ने पूजा के माता-पिता के तलाक के कागजात भी मांगे हैं. पूजा खेडकर ने दावा किया था कि वे ओबीसी कोटे से आते हैं, वे अपने पिता की आय नहीं जानतीं. ओबीसी कोटा के तहत लाभ लेने से पहले, वे अपने पिता की वास्तविक आय नहीं जानती थीं.
अब तक पूजा खेडकर के खिलाफ हुई जांच में यह सामने आया है कि उन्होंने दिव्यांगता के कई प्रमाणपत्र जमा किए, जिससे उन्हें सिविल सेवा में एंट्री मिल जाए. कुछ उनमें से खारिज भी हुई हैं. पूजा की पोस्टिंग, वाशिम में हुई है, उन्हें पुणे से ट्रांसफर कर दिया गया था. उन्होंने UPSC को भी गुमराह करने की कोशिश की है. उन्होंने अपनी आय भी गलत बताई है.
उन्होंने दावा किया था कि वे क्रीमी लेयर से नहीं आती हैं. उनके पिता ने 40 करोड़ रुपये अपनी कुल हैसियत बताई है. परिवार की वार्षिक आय 8 लाख रुपये से ज्यादा है. सोमवार को राज्य सरकार ने पूजा खेडकर के खिलाफ जांच शुरू कर दी है. UPSC ने इस प्रकरण में 12 जुलाई को ही पत्र लिख दिया था.
पूजा ने सिविल सेवा में हैंडिकैप्ड कैटेगरी में एंट्री ली है. उनका कहना है कि वे आंशिक तौर पर दृष्टि बाधित हैं. उन्होंने कहा है कि वे मानसिक और हड्डियों से जुड़ी दिव्यांगता से जूझ रही हैं. पूजा ने नॉन क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट का इस्तेमाल किया है, जबकि वे क्रीमी लेयर के दायरे में आती हैं. सिविल सेवा में उन्हें ओबीसी कोटे के तहत एंट्री मिली है.
जिन लोगों की वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम हो, वे गैर क्रीमी लेयर में आते हैं. उनके पिता दिलीप खेडकर ने अपनी सकल आय 40 करोड़ रुपये बताई है. साल 2024 में वे अंबेडकरनगर से वीबीए की ओर से लड़े थे. पूजा का दावा है कि वे अपने पिता की आय के बारे में नहीं जानती हैं. उनकी मां मनोरमा और पिता साल 2003 में ही अलग हो गए थे.
दिलीप कुमार ने अपने एफिडेविट में अपनी पत्नी की नेट वर्थ भी बताई और यह भी कहा है कि वे तलाकशुदा नहीं है. उनके हलफनामे में पत्नी का नाम मनोरमा ही है.
पूजा को पहली बार दिव्यांगता सर्टिफिकेट अंबेडकर नगर जिला अस्पताल से साल 2018 में घोषित हुआ. तीन साल बाद, साल 2021 में उन्हें मानसिक बीमारी का प्रमाण पत्र जारी किया गया. डॉ. संजय घोगरे अंबेडकर नगर जिला अस्पताल में सिविल सर्जन हैं. उन्होंने कहा कि दिव्यांगता सर्टिफिकेट पूजा को जारी हुआ है, वह वास्तविक है. यह सभी जरूरी प्रक्रियाओं को अपनाने के बाद ही जारी किया गया है.
अधिकारी का कहना है कि पूजा करीब 51 फीसदी दिव्यांग हैं. वे 40 फीसदी दृष्टिबाधित हैं और 20 प्रतिशत मानसिक रूप से बीमार हैं. अहमदनगर जिला कलेक्टर को सौंपी गई रिपोर्ट में इन बातों का जिक्र है.
पूजा ने गलत सर्टिफिकेट के इस्तेमाल पर कहा है कि वे एक्सपर्ट कमेटी के सामने ही जवाब देंगी. के समिति के निर्णय को मानेंगी. जांच चल रही है, इसलिए वे कुछ बोलना नहीं चाहती हैं. उन्होंने कहा, 'मेरे पास जो भी सबमिशन हैं, वे सार्वजनिक हो जाएंगे. हमारा संविधान कहता है कि जब तक दोषी साबित न हों, हम निर्दोष हैं. मीडिया ट्रायल से मुझे दोषी साबित करना गलत है.'