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कर्नाटक का मुस्लिम कोटा क्या है, आखिर सभी मुसलमानों को कांग्रेस ने क्यों दिया OBC का दर्जा?

Karnataka Muslim Reservation: कर्नाटक में कांग्रेस सरकार मुस्लिम कोटा को लेकर बुरी तरह से घिर गई है. भारत का पिछड़ा वर्ग आयोग भी कर्नाटक सरकार के इस फैसले को लकेर सवाल खड़े कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आरक्षण की इस व्यवस्था को लेकर हमलावर हैं. क्या है ये पूरा मामला, आइए समझते हैं.

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Courtesy: Congress/Twitter

कर्नाटक में मुस्लिम समुदाय के सभी लोग अब अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में आने लगे हैं. कांग्रेस (Congress) सरकार ने मुस्लिम समुदाय के सभी वर्गों को OBC कैटेगरी में रखा है. नेशनल कमीशन ऑफ बैकवर्ड क्लासेज (NCBC) ने कर्नाटक सरकार के इस फैसले को लेकर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस मुस्लिम तुष्टीकरण और आरक्षण को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दूसरे नेताओं के निशाने पर है. 

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने कर्नाटक सरकार के इस फैसले को लेकर सवाल उठाया है. आयोग का कहना है कि यह सामाजिक न्याय के मूल सिद्धांतों के ही खिलाफ है. कांग्रेस सरकार ने सभी मुसलमानों को ओबीसी वर्ग में रख दिया है, इसे लेकर हंगामा भड़का है. विरोधी पार्टियों का कहना है कि यह मुस्लिम तुष्टीकरण है और कांग्रेस सरकार आरक्षण के संवैधानिक प्रावधानों का ही उल्लंघन कर रही है.

क्यों मुश्किल में फंसी है कर्नाटक की कांग्रेस सरकार?
कर्नाटक में ओबीसी वर्ग के लोगों को कुल 32 फीसदी रिजर्वेशन मिलता है. ओबीसी वर्ग को कुल 5 वर्गों में रखा गया है. ओबीसी 1, 2ए, 2बी, 3ए और 3बी. पहली कैटेगरी में करीब 391 जातियों और उपजातियों को रखा गया है. अब बवाल की वजह यह है कि मुस्लिमों में भी 17 जातियां हैं जिन्हें आरक्षण दिया गया है. इसके तहत मुस्लिमों को करीब 4 प्रतिशत आरक्षण मिल जाता है, यही फसाद की जड़ है.

कर्नाटक सरकार ने कैटेगरी 2ए के तहत 399 जातियों और उपजातियों को रखा है. इसमें से मुस्लिम समुदाय की 19 जातियों को रख दिया है. अब सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 15 प्रतिशत रिजर्वेशन मुस्लिमों को मिल रहा है. कर्नाटक सरकार ने मुस्लिमों के लिए ही 2बी नाम से एक और कैटेगरी बनाई है, जिसमें मुस्लिमों की सभी जातियों को शामिल किया गया है. इस समुदाय के लोगों को 4 फीसदी आरक्षण देने का प्रवधान है.

3ए और 3 बी कैटेगरी में 4 और 5 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है. अब अगर कुल मिलाकर देखें तो कुल 883 जातियों और उपजातियों को आरक्षण दिया जा रहा है. पिछड़ा वर्ग आयोग इन आंकड़ों पर ही हैरान है. आयोग का कहना है कि यह किस नियम को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है.

कर्नाटक की मुस्लिम आबादी कितनी है, कितने लिस्ट में बंटे हैं मुसलमान
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के मुताबिक कर्नाटक में करीब 12.92 प्रतिशत मुस्लिम आबादी रहती है. मार्च 2002 के आंकड़ों के मुताबिक कर्नाटक सरकार ने मुस्लिमों के आरक्षण को लेकर एक प्रावधान बनाया था और उन्हें ओबीसी कैटेगरी में रखा था. सरकार ने मुस्लिमों की 17 और 19 जातियों को कैटेगरी 1 और 2ए में लिस्ट किया था. कैटेगरी 2ए में सभी मुस्लिम जातियों को रख दिया गया है. सरकार ने इसे लेकर एक प्रावधान बनाया है कि 32 फीसदी कुल ओबीसी आरक्षण के तहत ही मुस्लिमों को आरक्षण का लाभ मिलेगा. 

अब समझ लीजिए किसे 1 और 2ए कैटेगरी में रखा गया है- 
मुसलमानों की 17 जातियों को कैटेगरी 1 में रखा गया है. नदफ, पिंजर, दरवेश, छपराबंद, कसाब, फूलमाली, नालबंद, कासाई, अतहरी, शिक्कालिगरा, सिकालिगर, सलबंद, लदाफ, ठिकानगर, बाजिगर, जौहरी और पिंजारी समुदाय के मुस्लिम इस लिस्ट में रखा गया है. 2ए में सैय्यद, शेख, पठान, कंजर, जुलाहा, धुनिया, कसाई, फकीर, हज्जाम, मेहतर और पसमंदा मुस्लिमों रखा गया है.  

पिछड़ा वर्ग आयोग क्यों है नाराज?
पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहिर का कहना है कि कर्नाटक के पीजी कॉलेजों में कुल 930 सीटें हैं. 150 सीटें मुसलमानों को ओबीसी कोटा के तहत मिल गईं. नियम के मुताबिक मुस्लिमों को 4 प्रतिशत सीट मिलनी चाहिए लेकिन यह 16 प्रतिशत तक पहुंच गया है.

कांग्रेस ने क्यों दिया है आरक्षण?
कांग्रेस का मुस्लिम आरक्षण पर नजरिया हमेशा से साफ रहा है. कांग्रेस मुस्लिम आरक्षण की वकालत करती है. कांग्रेस का कहना है कि हिंदू धर्म की जातियों की तरह ही मुस्लिम समाज में भी तमाम आर्थिक, सामाजिक और जातीय असमानताएं हैं, जिसके लिए मुस्लिम आरक्षण जरूरी है.

क्यों कर्नाटक सरकार ने साधी है चुप्पी?
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के सवालों का जवाब अभी तक कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने नहीं दिया है. कर्नाटक सरकार ने हाल ही में कहा था कि मुस्लिम और ईसाई धर्म के लोग किसी जाति का हिस्सा नहीं हैं पर आयोग ने जब कहा कि तो फिर किस आधार पर आपने आरक्षण दिया है तो सरकार ने चुप्पी साध ली.

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