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'हम सिर्फ पार्टनर नहीं, परिवार हैं', वाराणसी में रामगुलाम के साथ बैठक के बाद बोले पीएम मोदी

संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि काशी में रामगुलाम का स्वागत करना उनके लिए गर्व का क्षण है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, आज हम मॉरीशस से आए अपने मित्रों का स्वागत करते हैं.

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Edited By: Gyanendra Sharma
PM Modi
Courtesy: Social Media

PM Modi in Varanasi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को मॉरीशस के पीए नवीनचंद्र रामगुलाम से मुलाकात की, जहां दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय बैठक की और कई दस्तावेजों का आदान-प्रदान किया. पीएम मोदी ने कहा मॉरीशस हमारा पार्टनर नहीं परिवार की तरह है. नेताओं ने पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में द्विपक्षीय बैठक की और एक-दूसरे का अभिवादन किया, जो भारत-मॉरीशस संबंधों की मजबूती और सौहार्द को दर्शाता है.

द्विपक्षीय बैठक और दस्तावेजों के आदान-प्रदान के बाद एक संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि काशी में रामगुलाम का स्वागत करना उनके लिए गर्व का क्षण है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, आज हम मॉरीशस से आए अपने मित्रों का स्वागत करते हैं. यह सिर्फ़ औपचारिक मुलाक़ात नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक मुलाकात है. इसलिए मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि भारत और मॉरीशस सिर्फ़ साझेदार नहीं, बल्कि एक परिवार हैं. मॉरीशस भारत की पड़ोसी पहले नीति और दृष्टिकोण "महासागर" का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है.

पीएम मोदी ने क्या है? 

उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से ही काशी भारतीय सभ्यता का प्रतीक और संस्कृति की आत्मा रही है. हमारी संस्कृति और परंपराएं सदियों पहले भारत से मॉरीशस पहुंचीं और वहां के जीवन में समाहित हो गईं. काशी में गंगा के अविरल प्रवाह की तरह, भारतीय संस्कृति का अविरल प्रवाह मॉरीशस को समृद्ध और समृद्ध बना रहा है. 

विदेश सचिव विक्रम मिस्री से मिले रामगुलाम

इससे पहले, विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने वाराणसी में प्रधानमंत्री रामगुलाम से मुलाकात की थी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक्स पर एक पोस्ट में विवरण साझा करते हुए कहा कि उन्होंने बहुमुखी साझेदारी पर चर्चा की और साझा इतिहास, संस्कृति और लोगों से लोगों के संबंधों पर आधारित भारत-मॉरीशस संवर्धित रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की प्रतिबद्धता की पुष्टि की.

प्रधानमंत्री रामगुलाम इससे पहले मई 2014 में भारत आए थे. वे प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित एकमात्र गैर-सार्क नेता थे. वे 9 सितंबर को वाराणसी पहुंचे और उनका औपचारिक स्वागत किया गया तथा उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उनका स्वागत किया.