महाराष्ट्र के सिद्ध दुर्ग में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति ढहने के बाद से प्रदेश में शुरू हुआ बवाल अब तक थमने का नाम नहीं ले रहा है. सिद्ध दुर्ग में शिवाजी की मूर्ति के ढहने के बाद से लगातार विपक्षी नेता राज्य सरकार पर हमला कर रहे हैं. जबकि इस घटना के तुरंत बाद सरकार एक्शन में आ गई थी और मूर्तिकार और ऑडिट के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ तुंरत एफआईआर भी दर्ज करवाई.
इस मुद्दे को विपक्ष की हरकतों को सांप्रदायिक तनाव भड़काते हुए अपने एजेंडे के लिए स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. विजय वडेट्टीवार, अंबादास दानवे, जयंत पाटिल, सतेज पाटिल और आदित्य ठाकरे समेत विपक्षी नेताओं ने इस घटना के बाद सिंधुदुर्ग स्थल पर पहुंचे और उन्होंने स्थिति से निपटने के लिए सरकार की तरीके की आलोचना की. इसके अलावा सोशल मीडिया पर गिरी हुई मूर्ति की तस्वीरें साझा की, जिसे धार्मिक तनाव भड़काने की कोशिश करार दिया गया है.
बता दें कि एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार, महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले और शिवसेना (यूबीटी) उद्धव ठाकरे द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जातिगत मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की. जिसके बाद विपक्षी नेताओं पर सांप्रदायिक तनाव फैलाने और राज्य के भीतर विभाजन पैदा करने का प्रयास करने का आरोप लगाया गया है.
वहीं विपक्ष के इन नेताओं की हरकतों को महाराष्ट्र में बांग्लादेश जैसी स्थिति पैदा करने की कोशिश बताया जा रहा है. साथ ही विपक्षी पार्टी पर राजनीतिक लाभ के लिए शिवाजी महाराज की विरासत को धोखा देने का आरोप करार दिया है. वहीं शरद पवार की भी जमकर आलोचना हो रही है. सत्ता पक्ष का आरोप है कि शरद पवार राजनीतिक लाभ के लिए ब्राह्मणों और गैर ब्राह्मणों के बीच दरार पैदा कर रहे हैं.
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