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Thackeray brothers: 23 साल बाद फिर साथ दिखेंगे ठाकरे बंधु, जानें क्या हुआ था जब आखिरी बार मंच पर आए थे साथ

Thackeray brothers: 23 साल बाद राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे फिर से एक ही मंच पर साथ दिखाई देंगे. आखिरी बार वे 2002 में बाल ठाकरे की मौजूदगी में शिवसेना के अधिवेशन में साथ आए थे. बाद में मतभेदों के कारण दोनों अलग हो गए. अब यह मुलाकात महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरण का संकेत मानी जा रही है.

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Edited By: Km Jaya
Uddhav Thackeray and Raj Thackeray
Courtesy: Social Media

Thackeray brothers: महाराष्ट्र की राजनीति में एक ऐतिहासिक पल फिर से सामने आया है. लगभग 23 साल बाद, राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक ही मंच पर एक साथ दिखाई देंगे. यह मौका केवल एक सांस्कृतिक या पारिवारिक घटना नहीं, बल्कि इसे महाराष्ट्र की बदलती राजनीतिक दिशा के तौर पर देखा जा रहा है. दोनों भाईयों की यह ऐतिहासिक रैली शनिवार, 5 जुलाई को मराठी भाषा को लेकर हो रही है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लोगों को अब 2002 की वह जनसभा याद आ रही है, जब ये दोनों भाई आखिरी बार एक मंच पर साथ नजर आए थे. वह कार्यक्रम शिवसेना के युवा अधिवेशन का था, जिसमें बाल ठाकरे भी मौजूद थे. उस समय राज ठाकरे को बाल ठाकरे का उत्तराधिकारी माना जा रहा था, और दोनों भाइयों को शिवसेना के दो मजबूत स्तंभ बताया गया था.

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की स्थापना 

लेकिन कुछ ही महीनों में परिस्थिति बदल गई. बाल ठाकरे ने पार्टी की कमान अपने बेटे उद्धव ठाकरे को सौंप दी. इस फैसले से पार्टी के भीतर तनाव बढ़ा और अंततः राज ठाकरे ने शिवसेना से नाता तोड़ लिया. 2006 में उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की स्थापना की. इसके बाद दोनों भाई अलग-अलग राजनीतिक रास्तों पर चल पड़े और वर्षों तक एक-दूसरे के विरोधी बने रहे.

दोनों नेताओं के बीच आई संबंधों में खटास

इन दो दशकों में दोनों नेताओं के बीच संबंधों में खटास रही. ना मंच साझा किया, ना किसी कार्यक्रम में एक साथ नजर आए. एक-दूसरे के खिलाफ उनके तीखे बयान भी सामने आते रहे, लेकिन अब 2024 की राजनीति को देखते हुए दोनों फिर एक साथ मंच पर दिखने वाले हैं. यह मंच साझा करना सिर्फ एक भावनात्मक क्षण नहीं है, बल्कि मराठी अस्मिता और राजनीतिक भविष्य की दिशा तय कर सकता है. 

संभावित गठबंधन का संकेत

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मातोश्री की राजनीतिक पकड़, जो पिछले कुछ सालों में कमजोर हुई है, उसे फिर से मजबूत करने की कोशिश हो सकती है. राज और उद्धव ठाकरे का यह साथ आना संभावित गठबंधन या रणनीतिक तालमेल का संकेत हो सकता है. यह मुलाकात केवल अतीत की याद नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में भविष्य की संभावनाओं का भी दरवाज़ा खोल सकती है.