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India Daily

राज और उद्धव ठाकरे को साथ देख खुश हुए MK स्टालिन, बोले- 'हिंदी थोपने के खिलाफ...'

Tamil CM reacts: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने ठाकरे भाइयों की एकता को हिंदी थोपे जाने के खिलाफ एक राष्ट्रीय आंदोलन बताया. उन्होंने बीजेपी की भाषा नीति की आलोचना की और महाराष्ट्र में इसके खिलाफ उठे जनविद्रोह को लोकतंत्र की जीत बताया.

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Edited By: Km Jaya
Tamil CM M.K. Stalin reacts to Thackeray brothers unity
Courtesy: Social Media

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एम.के. स्टालिन ने शनिवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना  प्रमुख राज ठाकरे के एक मंच पर आने का स्वागत किया. उन्होंने इसे हिंदी थोपे जाने के खिलाफ एक बड़ी लहर बताया जो अब महाराष्ट्र में भी उठ चुकी है.

स्टालिन ने एक्स पर लिखा, "मुंबई में भाई उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में हुई रैली में जो उत्साह और भाषण हुए, वे बहुत प्रेरणादायक हैं. मुझे उम्मीद है कि महाराष्ट्र में उठे इस विद्रोह से उन लोगों की आंखें खुलेंगी, जो यह कहते हैं कि हिंदी पढ़ने से नौकरी मिलेगी."

केन्द्र सरकार पर बोला हमला

स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु और डीएमके लंबे समय से हिंदी थोपने का विरोध कर रहे हैं. अब यह आंदोलन राज्य की सीमाओं को पार कर महाराष्ट्र में बवंडर की तरह फैल रहा है. उन्होंने केंद्र की भारतीय जनता पार्टी पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा कि बीजेपी अवैध और अराजकतापूर्ण तरीके से काम कर रही थी. पार्टी का कहना था कि तमिलनाडु के स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाए, तभी उन्हें फंड मिलेगा लेकिन महाराष्ट्र में जनता के संभावित विरोध के डर से बीजेपी को दूसरी बार पीछे हटना पड़ा है.

ठाकरे भाइयों की एकजुटता

शनिवार को उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे करीब दो दशक बाद एक मंच पर साथ नजर आए. दोनों नेताओं ने मराठी भाषा, संस्कृति और "हिंदी थोपने" के मुद्दे पर एक साथ आने की कसम खाई. उद्धव ठाकरे ने कहा, "हम मराठी के मुद्दे पर एकजुट हुए हैं और हम आगे भी साथ रहेंगे."

त्रिभाषा फॉर्मूला का विरोध

राज ठाकरे ने त्रिभाषा फॉर्मूला का विरोध करते हुए कहा, "राज्य सरकार की यह योजना मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की तैयारी का हिस्सा है. उन्होंने बिना किसी चर्चा के हिंदी थोपी. उनके पास विधानसभा में ताकत हो सकती है, लेकिन हमारे पास सड़कों पर ताकत है. "राज ठाकरे ने यह भी सवाल उठाया कि अगर हिंदी इतनी ताकतवर है तो हिंदी भाषी राज्य इतने पिछड़े क्यों हैं? "हिंदी ने उन्हें आगे क्यों नहीं बढ़ाया?"