दो दशकों के राजनीतिक अलगाव के बाद, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे मराठी विवाद के बीच मुंबई में एक मंच पर नजर आए. यह एकजुटता वर्ली में आयोजित एक समारोह में दिखी, जो महाराष्ट्र सरकार द्वारा हिंदी भाषा “थोपने” के आदेश को वापस लेने के उपलक्ष्य में था.
कोई ड्रामा दिखाए तो कान के नीचे मारो
राज ठाकरे ने मराठी भाषा विवाद और मनसे कार्यकर्ताओं की आलोचना का जवाब देते हुए कहा, “गुजराती हो या कोई और, सभी को मराठी आनी चाहिए, लेकिन मराठी न बोलने के लिए किसी को पीटने की जरूरत नहीं है. लेकिन अगर कोई बेकार का ड्रामा दिखाए, तो उनके कान के नीचे मारो.” उन्होंने कार्यकर्ताओं को घटना का वीडियो न बनाने की सलाह दी और कहा, “मैं एक बात और कहता हूं: अगर तुम किसी को मारो, तो उसका वीडियो मत बनाओ. जिसे मारा गया, वही बताए कि उसे मारा गया है, तुम्हें यह बताने की जरूरत नहीं कि तुमने किसी को मारा.”
Only in Indian Politics can you run a failed startup for 20 years and yet carry enough swagger to justify violence. This is the MNS Chief Raj Thackeray whose goons beat a trader over Marathi. He says next time don’t make a video. Let the person hit come out and tell the world. pic.twitter.com/mv7OWQA24T
— Sanket Upadhyay (@sanket) July 5, 2025
मराठी गर्व और अंग्रेजी शिक्षा
राज ठाकरे ने मराठी गर्व और अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा के बीच कोई संबंध न होने पर जोर दिया. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “वे कहते हैं कि हमारे बच्चे अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़े. तो क्या? दादा भुसे मराठी स्कूलों में पढ़े और मंत्री बने. देवेंद्र फडणवीस अंग्रेजी माध्यम में पढ़े और महाराष्ट्र के सीएम बने. तो क्या?” उन्होंने अपने पिता श्रीकांत ठाकरे और चाचा बालासाहेब ठाकरे का भी जिक्र किया, जो अंग्रेजी माध्यम में पढ़े थे. “क्या कोई उनकी मराठी प्रेम पर सवाल उठा सकता है? कल मैं हिब्रू भी सीख लूंगा. क्या कोई मेरे मराठी गर्व पर सवाल उठाएगा?”
उद्धव का एकजुटता का संदेश
उद्धव ठाकरे ने कहा कि वे और राज एकजुट होकर मुंबई महानगरपालिका और महाराष्ट्र में सत्ता हासिल करने के लिए आए हैं. यह एकजुटता मराठी अस्मिता और राजनीतिक रणनीति को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.