सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (22 अगस्त) को आवारा कुत्तों से जुड़े मामले में महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए. इस दौरान कोर्ट ने आदेश दिया कि इस मामले में याचिका दायर करने वाले व्यक्तिगत कुत्ता प्रेमियों को 25,000 रुपये और एनजीओ को 2 लाख रुपये कोर्ट रजिस्ट्री में जमा करने होंगे. यह राशि सात दिनों के भीतर जमा करनी होगी, अन्यथा याचिकाकर्ता या हस्तक्षेपकर्ता को आगे की सुनवाई में भाग लेने की अनुमति नहीं मिलेगी. कोर्ट ने साफ किया कि यह राशि आवारा कुत्तों के लिए बुनियादी ढांचा और सुविधाएं विकसित करने में उपयोग होगी, जिसे संबंधित नगर निकायों के तहत लागू किया जाएगा.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता के वकील विवेक शर्मा ने साफ किया कि यह जुर्माना आम नागरिकों के लिए नहीं है. शर्मा ने कहा, “आदेश में उल्लिखित जुर्माना (25,000 रुपये और 2 लाख रुपये) एनजीओ और स्वत: संज्ञान मामले में हस्तक्षेप करने वालों के लिए है, न कि आम लोगों के लिए. इसका उद्देश्य आदेश को पढ़कर समझा जा सकता है. ये धनराशि कुत्तों के कल्याण के लिए उपयोग होगी.
सार्वजनिक जगहों पर खाना खिलाने पर लगी रोक
कुत्ता प्रेमियों के लिए राहत की बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों पर अपने अगस्त के आदेश में बदलाव किया. कोर्ट ने नसबंदी के बाद कुत्तों को उनके मूल क्षेत्र में छोड़ने की अनुमति दी, लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर खाना खिलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया. कोर्ट ने नगर निकायों को प्रत्येक वार्ड में विशेष खाना खिलाने के क्षेत्र बनाने का निर्देश दिया.
संशोधित आदेश की मुख्य बातें!
- उपचार के बाद वापसी: नसबंदी, टीकाकरण और कृमिनाशक उपचार के बाद आवारा कुत्तों को उनके मूल क्षेत्र में छोड़ा जा सकता है.
- सार्वजनिक खाना प्रतिबंधित: सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को खाना खिलाना पूरी तरह प्रतिबंधित है. प्रत्येक नगर वार्ड में विशेष खाना क्षेत्र बनाए जाएंगे.
- रेबीज या आक्रामक कुत्तों का प्रबंधन: रेबीज के लक्षण या आक्रामक व्यवहार वाले कुत्तों को क्वारंटाइन कर आश्रयों में रखा जाएगा.
- गोद लेने की प्रोत्साहन: व्यक्तिगत और पशु प्रेमी आवारा कुत्तों को गोद ले सकते हैं, लेकिन उन्हें सड़कों पर वापस न छोड़ने की जिम्मेदारी होगी.
- राष्ट्रीय नीति: कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मामले में पक्षकार बनाया और हाई कोर्ट में लंबित समान मामलों को अपने पास स्थानांतरित कर लिया, ताकि आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए एकसमान राष्ट्रीय नीति बनाई जा सके.