नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय के बीच अम्मान में अहम द्विपक्षीय बातचीत हुई. इस बातचीत में आतंकवाद विरोधी सहयोग, गाजा संकट, क्षेत्रीय हालात और दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत करने पर चर्चा की गई. बैठक के बाद भारत और जॉर्डन के बीच पांच महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए. इन समझौतों का उद्देश्य ऊर्जा, जल प्रबंधन, संस्कृति, डिजिटल तकनीक और पर्यटन के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना है.
प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ जॉर्डन की भूमिका की सराहना की. उन्होंने कहा कि भारत क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए जॉर्डन के प्रयासों का समर्थन करता है. दोनों नेताओं ने आतंकवाद और कट्टरपंथ के सभी रूपों की निंदा की और इस खतरे से मिलकर लड़ने पर सहमति जताई. गाजा संकट पर भी विचार साझा किए गए और मानवीय समाधान की जरूरत पर जोर दिया गया.
यह यात्रा प्रधानमंत्री मोदी के तीन देशों के दौरे का पहला पड़ाव है. जॉर्डन के बाद वह इथियोपिया और ओमान जाएंगे. यह पिछले 37 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री का जॉर्डन का पहला पूर्ण द्विपक्षीय दौरा है. यह दौरा भारत और जॉर्डन के कूटनीतिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर हो रहा है. अम्मान हवाई अड्डे पर जॉर्डन के प्रधानमंत्री ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया.
हुसैनीया पैलेस में हुई बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने व्यापार, निवेश, रक्षा, कृषि, उर्वरक, नवीकरणीय ऊर्जा और पर्यटन में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और जॉर्डन सभी क्षेत्रों में साझेदारी को नई गति देंगे. उन्होंने लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने और तकनीकी सहयोग को मजबूत करने की बात कही.
प्रधानमंत्री मोदी ने द्विपक्षीय व्यापार को अगले पांच वर्षों में 2.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर करने का प्रस्ताव रखा. उन्होंने भारत के यूपीआई और जॉर्डन के डिजिटल पेमेंट सिस्टम के बीच सहयोग की संभावना भी जताई.
प्रधानमंत्री ने गाजा मुद्दे पर किंग अब्दुल्ला की सक्रिय भूमिका की तारीफ की. उन्होंने कहा कि सहिष्णुता और शांति को बढ़ावा देने के जॉर्डन के प्रयास क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण हैं.