प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब दे रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दिया था. पीएम मोदी ने कहा, आदरणीय राष्ट्रपति जी ने भारत की उपलब्धियों के बारे में, दुनिया की भारत से अपेक्षाओं के बारे में और भारत के सामान्य मानवी का आत्मविश्वास, विकसित भारत का संकल्प जैसे सभी विषयों की विस्तार से चर्चा की थी.
पीएम मोदी ने कहा कि इसे जिसने जैसा समझा, वैसे समझाया. सबका साथ, सबका विकास पर यहां बहुत कुछ कहा गया. इसमें कठिनाई क्या है. ये तो हम सबका दायित्व है. जहां तक कांग्रेस का सवाल है, उनसे इसके लिए कोई अपेक्षा करना बहुत बड़ी गलती हो जाएगी. ये उनकी सोच, समझ के बाहर है और रोडमैप में भी सूट नहीं करता. इतना बड़ा दल एक परिवार के लिए समर्पित हो गया है. उसके लिए ये संभव ही नहीं है.
कांग्रेस के लिए फैमिली फर्स्ट सर्वोपरि
पीएम मोदी ने कहा- कांग्रेस के मॉडल में फैमिली फर्स्ट सर्वोपरि रहा है. देश की जनता ने हमें तीसरी बार लगातार सेवा का मौका दिया. ये बताता है कि देश की जनता ने हमारे विकास के मॉडल को परखा है, समझा है और समर्थन दिया है. हमारा ये मॉडल एक शब्द में कहना हो तो कहूंगा- नेशन फर्स्ट. इसी उम्दा भावना के साथ वाणी-वर्तन, नीतियों में इसी एक बात को मानदंड मानकर सेवा करने का प्रयास किया है.
पीएम मोदी ने ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे लिए इनका मान-सम्मान भी उतना ही महत्वपूर्ण है. देश में जब-जब आरक्षण का विषय आया, उसको एक तंदुरुस्त तरीके से सत्य को स्वीकार करते हुए करने का प्रयास नहीं हुआ. दुश्मनी पैदा करने वाले तरीके अपनाए गए.
सामान्य वर्ग के गरीब को 10% आरक्षण दिया-पीएम मोदी
पहली बार हमारी सरकार ने सबका साथ-सबका विकास के मंत्र की प्रेरणा से सामान्य वर्ग के गरीब को 10% आरक्षण दिया. वो भी बिना किसी तनाव के और किसी से छीने बिना दिया. जब हमने ये निर्णय किया तो SC-ST और OBC समुदाय ने भी इसका स्वागत किया. आज जातिवाद का जहर फैलाने का प्रयास हो रहा है. लेकिन तीन दशक तक, दोनों सदनों में सभी दलों के OBC MPs सरकारों से मांग करते रहे थे कि OBC आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया जाए, लेकिन उनकी मांग को ठुकरा दिया गया. क्योंकि शायद उस समय उनकी (कांग्रेस) राजनीति को ये सूट नहीं करता होगा.
हमारे देश में दिव्यांगों की सुनवाई उतनी नहीं हुई, जितनी होनी चाहिए थी. हमने दिव्यांगों के लिए आरक्षण का विस्तार किया, सुविधाएं उपलब्ध हों, इसके लिए मिशन मोड में काम किया. योजनाएं बनाईं और लागू भी किया.