RSS 100 Years: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को नागपुर में विजयादशमी उत्सव के अवसर पर और RSS के 100 साल होने पर देश और दुनिया से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि हिंसा कभी भी स्थायी समाधान नहीं ला सकती, बल्कि लोकतांत्रिक रास्तों से ही सकारात्मक बदलाव आता है.
भागवत ने अपने संबोधन में पड़ोसी देशों में हो रहे आंदोलनों का जिक्र किया. उन्होंने कहा, 'श्रीलंका, बांग्लादेश और फिर नेपाल में उथल-पुथल दिख रही है. कभी-कभी शासन प्रशासन जनता के प्रति संवेदनशील नहीं होता और जनता की मांगों को अनदेखा करता है. असंतोष रहता है, लेकिन इसे हिंसा से व्यक्त करना किसी के हित में नहीं है. हिंसा और विनाश को डॉ. अंबेडकर ने अराजकता कहा है. प्रजातांत्रिक मार्गों से ही परिवर्तन आता है. हिंसा से एक उथल-पुथल होती है, लेकिन हालात नहीं बदलते.' .
भागवत ने कहा कि अराजकता की स्थिति में बाहरी शक्तियां देश को अस्थिर करने का प्रयास करती हैं. उन्होंने पड़ोसी देशों को 'अपने देश' बताते हुए कहा कि भारत का उनसे आत्मीयता का रिश्ता है और वहां स्थिरता बनी रहे, यह भारत के लिए भी जरूरी है.
गत वर्षों में हमारे पड़ोसी देशों में बहुत उथल-पुथल मची है। श्रीलंका में, बांग्लादेश में और हाल ही में नेपाल में जिस प्रकार जन-आक्रोश का हिंसक उद्रेक होकर सत्ता का परिवर्तन हुआ वह हमारे लिए चिंताजनक है । अपने देश में तथा दुनिया में भी भारतवर्ष में इस प्रकार के उपद्रवों को चाहने… pic.twitter.com/GvmttHnEWM
— RSS (@RSSorg) October 2, 2025Also Read
विजयादशमी और गांधी जयंती के अवसर पर भागवत ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के योगदान को याद करते हुए कहा, 'उन्होंने संप्रदायवाद के खिलाफ समाज की रक्षा की. स्वतंत्रता की लड़ाई में महात्मा गांधी जी का योगदान अविस्मरणीय है. स्वतंत्रता के बाद का जीवन कैसे चले, यह भी हमने उनसे सीखा है. हमारे उस वक्त के दार्शनिक नेता का योगदान कमाल का है. देश के लिए उन्होंने अपने प्राण दिए, उनकी आज जयंती है.'
आरएसएस प्रमुख ने समाज को संदेश देते हुए कहा कि आजादी के बाद भी हमें एक-दूसरे की जिम्मेदारी समझनी होगी. उन्होंने कहा कि बदलाव के लिए हिंसा नहीं बल्कि सामूहिक प्रयास, लोकतांत्रिक मूल्यों और समाज की एकजुटता ही सही रास्ता है.
इस वर्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने 100 वर्ष पूरे कर रहा है. इस मौके पर नागपुर में आयोजित विजयादशमी उत्सव में संघ प्रमुख का भाषण विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना गया. भागवत ने संगठन की भूमिका और समाज को दिशा देने में संघ की जिम्मेदारी पर भी प्रकाश डाला.