Pandit Chhannulal Mishra Death: भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत के महानायक और पद्म भूषण से सम्मानित पंडित छन्नूलाल मिश्र का 89 साल की उम्र में निधन हो गया. गुरुवार तड़के सुबह 4:15 बजे उन्होंने मिर्जापुर में अंतिम सांस ली. लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे इस दिग्गज कलाकार के निधन से संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई.
पंडित छन्नूलाल पिछले कई महीनों से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे. बीते महीने उन्हें सीने में दर्द और हल्का दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद उन्हें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के सर सुंदर लाल अस्पताल में भर्ती कराया गया. जांच में डॉक्टरों ने सीने में संक्रमण और एनीमिया की पुष्टि की थी. हालत गंभीर होने पर उन्हें आईसीयू में रखा गया. कुछ दिन पहले स्वास्थ्य में सुधार के संकेत मिलने पर उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया था, लेकिन गुरुवार को उन्होंने अंतिम सांस ली.
पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक, उनके पार्थिव शरीर को गुरुवार सुबह 11 बजे मिर्जापुर से वाराणसी लाया जाएगा, ताकि लोग अंतिम दर्शन कर सकें. शाम 7 बजे वाराणसी में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. उनके निधन से वाराणसी और पूरे संगीत जगत में गहरा शोक व्याप्त है.
सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। वे जीवनपर्यंत भारतीय कला और संस्कृति की समृद्धि के लिए समर्पित रहे। उन्होंने शास्त्रीय संगीत को जन-जन तक पहुंचाने के साथ ही भारतीय परंपरा को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित करने में भी अपना अमूल्य योगदान… pic.twitter.com/tw8jb5iXu7
— Narendra Modi (@narendramodi) October 2, 2025Also Read
- 38 की उम्र में कैंसर को हराकर लौटी TV की ये एक्ट्रेस, अब दुनिया में कर रही हैं ‘शेरनी’ की तरह राज!
- 25 साल की टीचर ने 11 साल के छात्र का महीनों तक किया यौन शोषण, स्कूल को बनाया हवस का अड्डा, भेजे 33000 अश्लील मैसेज
- 'क्या मजाक है', पाकिस्तानी सीनेटर ने 'दुर्लभ खनिज' दिखाने पर असीम मुनीर पर लगाए गंभीर आरोप
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और उन्हें भारतीय संस्कृति का अमूल्य धरोहर बताया. उन्होंने X पर लिखा, 'प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र जी के निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है. वे जीवन भर भारतीय कला और संस्कृति के संवर्धन के लिए समर्पित रहे. शास्त्रीय संगीत को जन-जन तक पहुंचाने के साथ-साथ उन्होंने भारतीय परंपरा को वैश्विक मंच पर स्थापित करने में भी अमूल्य योगदान दिया.'
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, 'यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे उनका स्नेह और आशीर्वाद सदैव प्राप्त होता रहा. वर्ष 2014 में, वे वाराणसी सीट से मेरे प्रस्तावक भी थे. इस दुःख की घड़ी में, मैं उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं. ॐ शांति!'