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India Daily

NDA की बैठक में जातिगत जनगणना प्रस्ताव को मिली मंजूरी, ऑपरेशन सिंदूर की हुई तारीफ

 जनगणना की तारीख अभी तय नहीं हुई है, लेकिन यह कदम देश की सामाजिक और राजनीतिक गतिशीलता को नया आकार दे सकता है. यह जनगणना न केवल जातिगत आंकड़े प्रदान करेगी, बल्कि संसदीय सीटों के परिसीमन और महिलाओं के लिए 33% आरक्षण लागू करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
NDA MEETING

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की रविवार हो हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में जातिगत जनगणना को आगामी राष्ट्रीय जनगणना में शामिल करने का ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया गया. यह निर्णय सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.

सामाजिक न्याय की दिशा में ऐतिहासिक निर्णय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल की राजनीतिक मामलों की समिति (CCPA) ने जातिगत जनगणना को मंजूरी दी. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की, "जातिगत गणना को पारदर्शी और संरचित तरीके से जनगणना में शामिल किया जाएगा." यह कदम सामाजिक और आर्थिक संरचना को मजबूत करेगा, जिससे समाज के सभी वर्गों का उत्थान संभव होगा.

लंबे समय से चली आ रही मांग
जातिगत जनगणना की मांग लंबे समय से विपक्षी दलों और कुछ क्षेत्रीय पार्टियों द्वारा उठाई जा रही थी. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा, "जातिगत जनगणना का हमारा पुराना मांग थी. यह विभिन्न वर्गों की आबादी का पता लगाने में मदद करेगा, जिससे उनके उत्थान और विकास के लिए योजनाएं बनाना आसान होगा. इस निर्णय के लिए मैं माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को बधाई और धन्यवाद देता हूं." बिहार ने 2023 में अपनी जातिगत जनगणना पूरी की थी, जिसमें 36 प्रतिशत आबादी अत्यंत पिछड़ा वर्ग और 27.13 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग की थी.

राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
यह निर्णय 2024 के लोकसभा चुनावों में विपक्ष की मांगों के जवाब में लिया गया है. एनडीए के सहयोगी दलों ने इसे सामाजिक न्याय की दिशा में एक मील का पत्थर बताया. शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने कहा, "यह निर्णय सामाजिक न्याय की यात्रा में ऐतिहासिक मील का पत्थर है." यह कदम न केवल नीति निर्माण में पारदर्शिता लाएगा, बल्कि समाज के हाशिए पर मौजूद समुदायों को उनका उचित हक दिलाने में भी मदद करेगा.