Mohan Bhagwat Birthday: आज का दिन ऐतिहासिक और यादगार है. 11 सितंबर की तारीख जहां एक ओर स्वामी विवेकानंद के 1893 में शिकागो धर्म संसद में दिए गए विश्वबंधुत्व के संदेश से जुड़ी है, वहीं दूसरी ओर 2001 के 9/11 आतंकी हमले की त्रासदी को भी याद दिलाती है. इसी दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत का 75वां जन्मदिन भी मनाया जा रहा है. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अनेक नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उन्हें शुभकामनाएं दीं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संदेश में कहा, 'मैं भागवत जी को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं और प्रार्थना करता हूं कि ईश्वर उन्हें दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करें. मेरा उनके परिवार से बहुत गहरा संबंध रहा है. मुझे उनके पिता, स्वर्गीय मधुकरराव भागवत जी के साथ निकटता से काम करने का सौभाग्य मिला था. मैंने अपनी पुस्तक ‘ज्योतिपुंज’ में मधुकरराव जी के बारे में विस्तार से लिखा भी है.' उन्होंने आगे कहा कि मधुकरराव जी ने गुजरात में संघ कार्य की मजबूत नींव रखी थी और राष्ट्र निर्माण के लिए पूरी तरह समर्पित रहे.
मोहन भागवत ने 1970 के दशक में प्रचारक के रूप में संघ जीवन की शुरुआत की. उस समय देश इमरजेंसी के दौर से गुजर रहा था और भागवत जी ने आपातकाल-विरोधी आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई. महाराष्ट्र और बिहार के ग्रामीण इलाकों में उनका लंबा समय समाज सेवा में बीता. साल 2000 में वे सरकार्यवाह बने और 2009 में संघ के सरसंघचालक की जिम्मेदारी संभाली. इस दौरान उन्होंने राष्ट्र प्रथम की विचारधारा को सर्वोपरि रखते हुए संगठन को नई दिशा दी.
मोहन भागवत को युवाओं से सहज संवाद और जुड़ाव के लिए जाना जाता है. उन्होंने संघ के कार्यों में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया. उनके नेतृत्व में संघ ने कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किए—चाहे गणवेश में बदलाव हो या संघ शिक्षा वर्गों में नए प्रयोग. वह समाज के अलग अलग वर्गों से निरंतर संवाद करते हैं और युवाओं को राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करते हैं.
कोविड-19 महामारी के दौरान मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को सुरक्षित रहते हुए समाज सेवा करने की दिशा दी. उनके मार्गदर्शन में मेडिकल कैंप, भोजन वितरण और राहत कार्य बड़े पैमाने पर किए गए. उन्होंने तकनीक के उपयोग पर जोर देते हुए संघ कार्यों को आधुनिक जरूरतों के अनुरूप ढालने की पहल की.
मोहन भागवत ने समाज कल्याण के लिए ‘पंच परिवर्तन’ का मार्ग बताया, जिसमें स्वबोध, सामाजिक समरसता, नागरिक शिष्टाचार, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण जैसे तत्वों को राष्ट्र निर्माण की आधारशिला माना गया है.