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India Daily

Patanjali Misleading Advertisement: पतंजलि को डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन चलाने से रोक, अदालत का बड़ा आदेश

Patanjali Misleading Advertisement: अदालत ने पतंजलि को डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ भ्रामक या अपमानजनक विज्ञापन प्रसारित करने से रोक दिया है. डाबर की याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया गया, जिसमें पतंजलि के विज्ञापनों को अनुचित प्रतिस्पर्धा बताया गया.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Patanjali vs Dabur Chyawanprash
Courtesy: Social Media

Patanjali Misleading Advertisement: भारतीय योग और आयुर्वेद उत्पाद निर्माता कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को एक बड़ा झटका लगा है. अदालत ने पतंजलि को डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ भ्रामक या अपमानजनक विज्ञापन प्रकाशित या प्रसारित करने से रोक दिया है. यह आदेश डाबर इंडिया लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया गया है. डाबर ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि पतंजलि ने अपने उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए डाबर के ब्रांड और प्रतिष्ठा को बदनाम करने की कोशिश की है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने माना कि पतंजलि द्वारा चलाए गए विज्ञापन डाबर के च्यवनप्राश उत्पाद के खिलाफ भ्रम फैलाने वाले और नकारात्मक संदेश देने वाले थे. विज्ञापनों में डाबर का नाम लिए बिना अप्रत्यक्ष रूप से उसके उत्पाद को लक्षित किया गया, जिससे उपभोक्ताओं में गलत धारणा पैदा हो सकती है.

च्यवनप्राश के क्षेत्र में अग्रणी कंपनी 

डाबर इंडिया ने कोर्ट में यह भी दलील दी कि वह पिछले कई दशकों से च्यवनप्राश के क्षेत्र में अग्रणी कंपनी है और उसका उत्पाद वैज्ञानिक परीक्षणों से प्रमाणित तथा उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रिय है. ऐसे में पतंजलि का यह कदम अनुचित प्रतिस्पर्धा और ब्रांड छवि को नुकसान पहुंचाने वाला है.

दूसरे उत्पादों को बनाया निशाना

कोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए कहा कि पतंजलि या उसकी ओर से किसी भी माध्यम से डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ ऐसा कोई विज्ञापन नहीं चलाया जाएगा जो अपमानजनक, भ्रामक या गलत तथ्यों पर आधारित हो. अदालत ने यह भी कहा कि स्वस्थ प्रतिस्पर्धा में नैतिकता का पालन अनिवार्य है और ब्रांड प्रचार के लिए दूसरे उत्पादों को निशाना बनाना एक गलत प्रथा है.

प्रतिद्वंदी ब्रांड की छवि को नुकसान

पतंजलि की ओर से कोर्ट में यह दलील दी गई कि उन्होंने किसी ब्रांड का नाम नहीं लिया है और विज्ञापन सामान्य प्रचार के तहत किए गए थे लेकिन अदालत ने इसे अस्वीकार कर दिया और कहा कि विज्ञापन की सामग्री से यह स्पष्ट होता है कि उसका उद्देश्य प्रतिद्वंदी ब्रांड की छवि को नुकसान पहुंचाना था. यह मामला अब आगामी सुनवाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया है, लेकिन तब तक पतंजलि को इस संबंध में कोई भी नया विज्ञापन जारी करने से रोका गया है.