नई दिल्ली: कांग्रेस नेता शशि थरूर के नेतृत्व वाली संसदीय विदेश मामलों की स्थाई समिति ने पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश और भारत के रिश्तों को लेकर चिंता व्यक्त की है. समिति ने चेताया है कि बांग्लादेश में बदलते राजनीतिक हालात, पीढ़ीगत दूरी और चीन-पाकिस्तान की बढ़ती मौजूदगी भारत के लिए 1971 के बाद सबसे बड़ी रणनीतिक चुनौती बन सकती है.
भारत-बांग्लादेश संबंधों को लेकर संसद में एक अहम चेतावनी सामने आई है. विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने कहा कि बांग्लादेश में मौजूदा घटनाक्रम भारत के लिए गंभीर रणनीतिक संकट का रूप ले सकता है. समिति के अनुसार, यह संकट पारंपरिक सैन्य टकराव जैसा नहीं है, बल्कि राजनीतिक बदलाव, सामाजिक सोच में अंतर और क्षेत्रीय शक्तियों की बढ़ती दखल से जुड़ा है. इन स्थितियों को लेकर सरकार से कई सवाल भी पूछे गए हैं.
कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने भारत-बांग्लादेश रिश्तों पर अपनी रिपोर्ट संसद में पेश की. रिपोर्ट में कहा गया कि बांग्लादेश में उभरती परिस्थितियां भारत के लिए गहरी चिंता का विषय हैं. समिति के सामने 26 जून को एक गैर-सरकारी गवाह ने बयान दिया, जिसमें मौजूदा हालात को भारत के लिए रणनीतिक रूप से खतरनाक बताया गया.
गवाह ने समिति को बताया कि 1971 का संकट मानवीय था, जिसमें एक नए राष्ट्र का जन्म हुआ. लेकिन आज की चुनौती अलग प्रकृति की है. यह संकट धीरे-धीरे गहराता हुआ दिख रहा है और इसके असर लंबे समय तक रह सकते हैं. राजनीतिक दिशा बदलने और सामाजिक सोच में दूरी बढ़ने से भारत-बांग्लादेश संबंध कमजोर हो सकते हैं.
रिपोर्ट में कहा गया कि बांग्लादेश में आवामी लीग का प्रभाव कमजोर पड़ना, युवाओं के नेतृत्व वाला राष्ट्रवाद और इस्लामवादी ताकतों की वापसी अहम संकेत हैं. नई पीढ़ी की सोच और भारत के प्रति दृष्टिकोण पहले जैसा नहीं रह गया है. यही पीढ़ीगत दूरी भविष्य में द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित कर सकती है.
समिति के अनुसार, चीन और पाकिस्तान का बढ़ता प्रभाव हालात को और जटिल बना रहा है. रणनीतिक स्तर पर यदि बांग्लादेश का झुकाव भारत से दूर होता है, तो इसका असर पूरे क्षेत्र पर पड़ेगा. गवाह ने कहा कि ये सभी घटनाएं मिलकर एक बड़े बदलाव की ओर इशारा कर रही हैं.
सरकार ने समिति को बताया कि बांग्लादेश के आंतरिक हालात से रिश्तों को अलग रखने की पूरी कोशिश की जा रही है. विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत अंतरिम सरकार से संवाद बनाए हुए है. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को लेकर बताया गया कि भारत उनकी राजनीतिक गतिविधियों में कोई भूमिका नहीं निभा रहा और स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है.