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CAA लागू, पाकिस्तान से आए 'नेहरू' को भी नागरिकता का इंतजार, बड़ी मुश्किल में कट रहे दिन

CAA: पाकिस्तान के आए हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता देने का रास्ता साफ हो गया है और अब इसके लिए फॉर्म भी भरे जा रहे हैं. दिल्ली में मौजूद हजारों शरणार्थियों को भी इससे बड़ी उम्मीदें हैं.

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Courtesy: ANI

पाकिस्तान के हजारों हिंदू शरणार्थी भारत के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे हैं. देश की राजधानी दिल्ली के ही कई कोनों में अस्थायी छुग्गियां डाले ये शरणार्थी नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) से उम्मीदें पाले बैठे हैं. पिछले महीने सीएए लागू किए जाने के बाद भी यह शरणार्थी वर्ग अभाव में जीने को मजबूर है. दिल्ली की जिन जगहों पर शरणार्थी शिविर हैं, उनमें न तो सड़क है, न पानी की नाली है और न ही पक्के घर हैं. जैसे-तैसे समय काट रहे इन शरणार्थियों को उम्मीद है कि एक बार नागरिकता मिल जाएगी तो उनके 'अच्छे दिन' आ जाएंगे.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के आदर्श नगर में स्थित हिंदू माइग्रेंट रिलीफ कैंप में लगभग 250 परिवार हैं और यहां के ज्यादातर लोग लगभग एक दशक से रह रहे हैं. CAA लागू होने के बाद 5 अप्रैल को इस कैंप के लगभग 180 लोगों ने नागरिकता के लिए आवदेन किया. ऐसे ही एक शख्स हैं 48 साल के नेहरू लाल हैं. नेहरू बताते हैं कि उनसे उनके पासपोर्ट, वीजा एप्लिकेशन और साल 2013 में भारत आने पर मिले रेजिडेंशियल परमिट की कॉपी मांगी गई. अब नेहरू के परिवार में कुल 65 लोग हैं और सभी लोग यहीं रहते हैं.

CAA से है बड़ी उम्मीद

नेहरू बताते हैं, 'हम लगभग 500 लोग साल 2013 में टूरिस्ट वीजा लेकर हरिद्वार आए थे और फिर हमने भारत में ही रुकने का फैसला कर लिया. उस वक्त हमें 25 दिन का वीजा मिला था और तब से हम उसे ही लगातार रिन्यू करवा रहे हैं. हमसे इसका कारण तो नहीं पूछा जाता है लेकिन हमसे हर बार एक एफिडेविट लिया जाता है.' शरणार्थी का स्टेटस होने के चलते वह भारत के किसी दूसरे हिस्से में न तो जा सकते हैं और न ही जमीन खरीद सकते हैं. अब नेहरू को उम्मीद है कि नागरिकता मिलने के बाद उनकी ये मुश्किलें हल हो जाएंगी. नेहरू यूपी या उत्तराखंड में जमीन खरीदना चाहते हैं.

बता दें कि दिल्ली में आदर्श नगर के अलावा रोहिणी, शाहबाद डेयरी और मजनू का टीला में कुल दो यानी कुल 4 शरणार्थी कैंप हैं. नेहरू बताते हैं कि इन कैंपों में रहने वाले लगभग 1000 लोग ही नागरिकता के पात्र हैं. नेहरू बताते हैं कि उनके कैंप में लाइट साल 2022 के दिसंबर महीने में तब आई जब दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिए. इससे पहले, केंद्र सरकार इसका विरोध कर रही थी और इस बस्ती को डिफेंस लैंड पर अवैध कब्जा बता रही थी.

अब इस कैंप के लोगों को उम्मीद है कि नागरिकता मिलने के बाद उनके दिन अच्छे हो सकते हैं. लोगों को उम्मीद है कि एक बार नागरिकता मिलने के बाद संभव है कि सरकार कैंप की बेहतरी के लिए काम करे. वहीं, कुछ लोगों की योजना है कि नागरिकता मिलने के बाद ये लोग देश के अन्य हिस्सों में जाकर अपने पैसों से जमीन खरीद सकेंगे और आराम की जिंदगी जी सकेंगे.