भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया. सूत्रों के अनुसार, इस दस्तावेज में भारत की सीमा-पार आतंकवाद को लेकर चिंताओं को स्पष्ट रूप से संबोधित नहीं किया गया था, जिसके चलते भारत ने यह कड़ा कदम उठाया. इस फैसले के परिणामस्वरूप, एससीओ सम्मेलन बिना किसी संयुक्त घोषणा के समाप्त हुआ.
एससीओ शिखर सम्मेलन में भारत ने पहलगाम हमले और पाकिस्तान के साथ संघर्ष का हवाला देते हुए सीमा पार आतंकवाद के संबंध में अपनी चिंताएं उठाईं. रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में आतंकवाद के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस नीति को दोहराया और बिना नाम लिए पाकिस्तान पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, कुछ देश सीमा-पार आतंकवाद को अपनी नीति का हथियार बनाते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं. ऐसे दोहरे मापदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए. एससीओ को इन देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए.
हलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र
उन्होंने विशेष रूप से अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र किया, जिसमें 26 लोग मारे गए थे. इस हमले की जिम्मेदारी 'द रेसिस्टेंस फ्रंट' (टीआरएफ) ने ली थी, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक संगठन है.
आतंकवाद को क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा
राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में आतंकवाद को क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया. उन्होंने कहा, आतंकवाद के अपराधी, आयोजक, वित्तपोषक और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. आतंकवाद का कोई भी कृत्य, चाहे वह किसी भी प्रेरणा से हो, आपराधिक और अक्षम्य है. एससीओ सदस्यों को इस बुराई की स्पष्ट रूप से निंदा करनी चाहिए. उन्होंने भारत की हालिया सैन्य कार्रवाई 'ऑपरेशन सिंदूर' का भी उल्लेख किया, जिसे 7 मई 2025 को सीमा-पार आतंकी ढांचे को नष्ट करने के लिए शुरू किया गया था. इस ऑपरेशन ने आतंकवाद के केंद्रों को सुरक्षित नहीं रहने का संदेश दिया.
एससीओ सम्मेलन जो 25-26 जून को चीन के क्विंगदाओ में आयोजित हुआ. इसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, और अन्य मध्य एशियाई देशों के रक्षा मंत्रियों ने हिस्सा लिया. इस मंच पर भारत ने न केवल आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की मांग की, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत के दृष्टिकोण को भी रेखांकित किया.