Consent Law India: कलकत्ता हाई कोर्ट की जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच ने एक बेहद अहम फैसले में कहा है कि अगर दो विवाहित एडल्ट म्यूच्यूअल सहमति से संबंध बनाते हैं, तो उसे शादी के झूठे वादे के आधार पर आपराधिक धोखा नहीं माना जा सकता. अदालत ने यह फैसला शुक्रवार को सुनाया.
जज का स्पष्ट संदेश - 'कोई दबाव या धोखा नहीं था'
जस्टिस बिभास रंजन डे ने कहा कि इस मामले में दोनों पक्ष एक-दूसरे की वैवाहिक स्थिति से वाकिफ थे और उनके बीच जो भी हुआ, वह पूरी तरह से आपसी सहमति पर आधारित था. कोर्ट ने माना कि महिला की तरफ से जो शिकायत दर्ज की गई, उसमें धोखा देने या जबरदस्ती का कोई ठोस सबूत नहीं मिला.
क्या था मामला?
बता दें कि यह मामला एक विवाहित महिला द्वारा एक विवाहित पुरुष पर शादी के बहाने दो साल तक संबंध बनाने का आरोप लगाने से जुड़ा है. 8 सितंबर 2024 को दर्ज शिकायत में महिला ने कहा कि जब उसके पति को इस रिश्ते की जानकारी हुई और उन्होंने तलाक की प्रक्रिया शुरू की, तो उसने आरोपी से शादी की मांग की. लेकिन जब आरोपी ने इनकार किया, तो महिला ने आपराधिक केस दर्ज करा दिया.
आरोप खारिज, कानून का साफ रुख
वहीं कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 69 (धोखाधड़ी से यौन संबंध) और 351 (2) (आपराधिक धमकी) के तहत लगे आरोपों को खारिज कर दिया. जज ने कहा कि, ''जब दोनों ही वयस्क हैं, विवाहित हैं और सहमति से संबंध बना रहे हैं, तो यह आपराधिक मामला नहीं बनता.''