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India Daily

North India Monsoon: उत्तर भारत में मानसून ने मचाया कहर, पिछले दो हफ्तों की बारिश से टूटा 14 साल का रिकॉर्ड

22 अगस्त से 4 सितंबर के बीच उत्तर भारत में 14 साल की सबसे अधिक बारिश दर्ज की गई. दो हफ्तों में सामान्य से तीन गुना बारिश हुई, जिससे बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाएं सामने आईं. पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल और उत्तराखंड सबसे ज्यादा प्रभावित रहे. यह 1988 के बाद का सबसे अधिक वर्षा वाला मानसून हो सकता है.

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Edited By: Km Jaya
उत्तर भारत में मानसून
Courtesy: Social Media

North India Monsoon: इस साल उत्तर भारत में मानसून कहर बरसा रहा है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग यानी IMD के आंकड़ों के अनुसार, 22 अगस्त से 4 सितंबर तक के दो हफ्तों में इस क्षेत्र में 14 साल की सबसे अधिक बारिश हुई. इस दौरान औसतन सामान्य बारिश से लगभग तीन गुना ज्यादा वर्षा दर्ज की गई. इन उत्तर भारत में सिर्फ 14 दिनों में 205.3 मिमी. बारिश हुई, जबकि सामान्यत: यह आंकड़ा 73.1 मिमी होना चाहिए है. यह पूरे चार महीने के मानसून कोटे का लगभग 35 प्रतिशत हिस्सा है.

लगातार बारिश ने पूरे उत्तर भारत में तबाही मचाई. जम्मू-कश्मीर में वैष्णो देवी मार्ग पर बादल फटा, पंजाब में दशकों बाद सबसे भयानक बाढ़ आई, दिल्ली में यमुना का जलस्तर तीसरी बार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा और हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड में भूस्खलन ने तबाही मचाई.

सबसे अधिक वर्षा वाला सीजन 

इस सीजन यानी 1 जून से अब तक उत्तर भारत में कुल 691.7 मिमी बारिश हो चुकी है, जो सामान्य से करीब 37 प्रतिशत अधिक है. अगर आगे सामान्य बारिश भी होती है, तो 30 सितंबर तक यह आंकड़ा 750 मिमी पार कर जाएगा. ऐसे में 1988 के बाद यह मानसून सबसे अधिक वर्षा वाला सीजन साबित हो सकता है. सन् 1988 में 813.5 मिमी बारिश दर्ज हुई थी, जबकि 1994 में 737 मिमी दर्ज की गई थी. 22 अगस्त को इस क्षेत्र में बारिश का अधिशेष 11.6 प्रतिशत था, जो 4 सितंबर तक बढ़कर 37 प्रतिशत हो गया. इतने बड़े क्षेत्र में लगातार दो हफ्तों तक इस स्तर की बारिश होना बेहद दुर्लभ माना जाता है.

IMD प्रमुख के अनुसार

IMD प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि यह स्थिति पश्चिमी विक्षोभ और पूर्वी मानसूनी हवाओं की दुर्लभ बैक-टू-बैक टक्कर के कारण बनी. 23 से 27 अगस्त और फिर 29 अगस्त से 4 सितंबर तक इन दोनों सिस्टम्स के टकराने से भारी वर्षा और बादल फटने जैसी घटनाएं हुईं. उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं आम तौर पर मानसून के चरम महीनों में भी बहुत कम देखने को मिलती हैं, और लगातार दो बार होना तो और भी दुर्लभ है.

सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र

पंजाब इस बारिश से सबसे अधिक प्रभावित रहा. यहां पहले हफ्ते में 388 प्रतिशत और दूसरे हफ्ते में 454 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज हुई. वहीं हरियाणा, दिल्ली और चंडीगढ़ में 325 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश में 314 प्रतिशत, पश्चिमी राजस्थान में 285 प्रतिशत, जम्मू-कश्मीर में 240 प्रतिशत और उत्तराखंड में 190 प्रतिशत अधिशेष वर्षा दर्ज की गई. केवल पूर्वी उत्तर प्रदेश इस बारिश के असर से कुछ हद तक बचा रहा. उत्तर भारत के लिए यह मानसून यादगार तो है, लेकिन इसके साथ आई तबाही ने लोगों के जीवन पर गहरा असर डाला है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि बारिश की यही रफ्तार जारी रही, तो यह सीजन बीते कई दशकों में सबसे ज्यादा बारिश वाला साबित हो सकता है.