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India Daily

शहरी भारत में कोविड-19 के नए क्लस्टर चिंताजनक! डॉक्टर ने 7 कैटागिरी के लोगों को कोरोनावायरस के जोखिम का किया खुलासा

कोविड-19 फिर से म्यूटेट हो रहा है और यह अब पुराने नियमों के अनुसार नहीं चल रहा है. डॉक्टर ने उन समूहों पर प्रकाश डाला है जिन्हें कोरोनावायरस के प्रसार के बीच अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए.

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Edited By: Mayank Tiwari
New Covid-19 clusters
Courtesy: Social Media

गर्मियों की छुट्टियों में मास्क हट चुके हैं और यात्रा की योजनाएं जोरों पर हैं, लेकिन कोविड-19 चुपके से हमें याद दिला रहा है कि यह अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. मंगलवार (10 जून) की सुबह तक, भारत में 6,815 सक्रिय कोविड-19 मामले दर्ज किए गए, जिसमें पिछले 24 घंटों में 324 नए मामले सामने आए, यह जानकारी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) ने दी. हालांकि ये आंकड़े पहले की लहरों की तुलना में कम हैं, फिर भी ये एक हल्की वापसी का संकेत देते हैं, जिसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.

नए मामलों और मृत्यु का आंकड़ा

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नए मामलों में तीन कोविड से संबंधित मौतें दर्ज की गईं. दिल्ली, केरल और झारखंड से एक-एक। ये आंकड़े भले ही छोटे लगें, लेकिन यह संकेत देते हैं कि वायरस अभी भी सक्रिय है. विशेषज्ञों का कहना है कि घबराने की जरूरत नहीं, लेकिन सतर्कता जरूरी है.

क्या कोविड-19 फिर से फैल रहा है?

एक इंटरव्यू के दौरान डॉ. प्रीति काबरा ने बताया, "फिलहाल भारत में कोई बड़ा उछाल नहीं देखा जा रहा, लेकिन कई राज्यों में छिटपुट मामले सामने आ रहे हैं, खासकर शहरी क्षेत्रों में स्थानीय समूहों की निगरानी की जा रही है. एक चुनौती यह है कि हल्के लक्षणों वाले कई लोग टेस्ट नहीं करा रहे, जिससे वास्तविक मामले कम दर्ज हो सकते हैं." उन्होंने आगे कहा, "हालांकि, यह उत्साहजनक है कि अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु दर कम है, जो टीकाकरण और पहले के संपर्क से मिली सुरक्षा का संकेत है."

कौन है अधिक जोखिम में?

डॉ. प्रीति काबरा ने बताया कि निम्नलिखित समूहों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए:

  1. 60 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग
  2. गर्भवती महिलाएं
  3. अनियंत्रित मधुमेह, हृदय या किडनी रोग वाले लोग
  4. कीमोथेरेपी या अंग प्रत्यारोपण से गुजर रहे मरीज
  5. क्रॉनिक फेफड़े की बीमारी (जैसे COPD या अस्थमा) से पीड़ित लोग
  6. मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति (BMI > 30)
  7. डाउन सिंड्रोम या अन्य न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर वाले लोग
  8. इन समूहों में निमोनिया, रक्त के थक्के या लॉन्ग कोविड जैसी जटिलताओं का खतरा अधिक है, भले ही मौजूदा स्ट्रेन हल्के लगें.

टीकाकृत बनाम गैर-टीकाकृत

डॉ. प्रीति काबरा ने कहा, "टीकाकरण, खासकर बूस्टर डोज के साथ, गंभीर बीमारी और मौत से मजबूत सुरक्षा प्रदान करता है. हालांकि, एंटीबॉडी कम होने के कारण ब्रेकथ्रू संक्रमण आम हैं, लेकिन ये मामले अक्सर हल्के होते हैं और जल्दी ठीक हो जाते हैं." उन्होंने चेतावनी दी, "हालांकि, टीकाकृत लोग भी वायरस फैला सकते हैं. गैर-टीकाकृत लोगों में जटिलताओं और लंबी बीमारी का जोखिम अधिक है. नए वेरिएंट के प्रति उनकी कमजोरी भी अधिक है."