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Covid-19 Infection: महिलाओं को 5 साल तक बूढ़ा कर गया कोविड-19, फ्रांस की रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

कोविड-19 संक्रमण को लेकर हाल ही में हुई एक रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. रिसर्च में दावा किया गया है कि कोविड रक्त वाहिकाओं में उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज कर सकता है.

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Edited By: Garima Singh
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Courtesy: x

Covid-19 infection: कोविड-19 संक्रमण को लेकर हाल ही में हुई एक रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. रिसर्च में दावा किया गया है कि कोविड-19 संक्रमण रक्त वाहिकाओं में उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज कर सकता है. इसका असर मुख्य रूप से महिलाओं में देखा गया है. इस स्टडी के मुताबिक, कोविड-19 से प्रभावित रक्त वाहिकाएं सामान्य से पांच साल तक अधिक उम्र की दिख सकती हैं. इससे धमनियों में कठोरता बढ़ती है, जो हृदय रोग, स्ट्रोक और दिल के दौरे जैसे गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों को जन्म दे सकती है.

यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में 16 देशों (ऑस्ट्रिया, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, साइप्रस, फ्रांस, ग्रीस, इटली, मैक्सिको, नॉर्वे, तुर्की, यूके और अमेरिका) के 2,390 लोगों को शामिल किया गया. ये लोग सितंबर 2020 से फरवरी 2022 के बीच अध्ययन का हिस्सा बने. शोध में पाया गया कि कोविड-19 से संक्रमित सभी समूहों, यहां तक कि हल्के लक्षणों वाले मरीजों में भी, धमनियों में कठोरता की समस्या देखी गई. यह प्रभाव उन लोगों की तुलना में अधिक था जो कोविड से संक्रमित नहीं हुए थे.

महिलाओं पर अधिक असर 

शोधकर्ताओं ने बताया कि कोविड-19 का प्रभाव पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक गंभीर था. यूनिवर्सिटी पेरिस सिटी, फ्रांस की प्रोफेसर रोजा मारिया ब्रूनो ने कहा, "हम जानते हैं कि कोविड सीधे खून की नसों पर असर डालता है. हमारा मानना है कि इसके परिणामस्वरूप उम्र बढ़ती है यानी इंसान समय से पहले बूढ़ा होने लगता है. इसका मतलब है कि आपकी रक्त वाहिकाएं आपकी कालानुक्रमिक उम्र से अधिक पुरानी हैं'' उन्होंने आगे कहा, "महिलाओं में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया अधिक तीव्र और मज़बूत होती है, जो उन्हें संक्रमण से बचा सकती है. हालांकि, यही प्रतिक्रिया प्रारंभिक संक्रमण के बाद रक्त वाहिकाओं को होने वाले नुकसान को भी बढ़ा सकती है."

वैक्सीनेशन का सकारात्मक प्रभाव

अध्ययन में यह भी पाया गया कि जिन लोगों ने कोविड-19 का टीका लगवाया था, उनकी धमनियों में कठोरता की समस्या अपेक्षाकृत कम थी. इसके अलावा, जिन लोगों को लंबे समय तक कोविड के लक्षणों जैसे सांस लेने में तकलीफ और थकान का सामना करना पड़ा, उनमें यह प्रभाव और भी गंभीर था. प्रोफेसर ब्रूनो ने जोर देकर कहा, "अगर ऐसा हो रहा है, तो हमें हृदयाघात और स्ट्रोक को रोकने के लिए प्रारंभिक चरण में ही यह पता लगाना होगा कि कौन जोखिम में है?"