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महाराष्ट्र: मंत्री पद की शपथ लेने वाले NCP के इन नेताओं पर दर्ज हैं भ्रष्टाचार के मामले, जानें अब क्या होगा?

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की राजनीति में रविवार को बड़ा उलटफेर देखने को मिला, अजित पवार समेत एनसीपी के नौ विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया.

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Sagar Bhardwaj

नई दिल्ली: एनसीपी के नौ विधायकों ने रविवार को महाराष्ट्र की शिंदे सरकार में कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली. इन नेताओं में तीन नेता अजित पवार, छगन भुजबल और हनस मुश्रीफ ऐसे हैं जो मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच का सामना कर रहे हैं. अब सवाल ये है कि क्या इन नेताओं के बीजेपी में शामिल होने से क्या इन पर लगे केस वापस ले लिये जाएंगे?

आइए विस्तार से जानते हैं कि इन नेताओं के खिलाफ क्या मामले चल रहे हैं...

अजित पवार- सहकारी बैंक घोटाला

डिप्टी सीएम पद की शपथ लेने वाले अजित पवार सहकारी बैंक घोटाला मामले में ईडी की जांच का सामना कर रहे हैं. दरअसल महाराष्ट्र स्टेट कॉपरेटिव बैंक द्वारा दिए गए लोन में अनियमितताओं को लेकर एक पीआईएल के आधार पर आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने अजित पवार के खिलाफ जांच शुरू की थी, इसी के आधार पर ईडी ने भी अजित पवार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था.

हालांकि आर्थिक अपराध शाखा ने एमवीए की सरकार के सत्ता में आने के बाद साल 2020 में मामले में किसी प्रकार के भ्रष्टाचार के समूत न मिलने का हवाला देते हुए इस केस को बंद करने के लिए स्पेशल कोर्ट में एक क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी. हालांकि ईडी ने आर्थिक अपराध शाखा के इस रुख को चुनौती दी थी लेकिन स्पेशल कोर्ट ने उनके दखल को खारिज कर दिया था.

 सुप्रीम कोर्ट के  फैसले अनुसार यदि आर्थिक अपराध शाखा इस केस को बंद कर देती तो ईढी भी इस मामले की जांच जारी नहीं रख सकती थी. लेकिन स्पेशल द्वारा EOW की क्लोजर रिपोर्ट पर विचार करने से पहले ही महाराष्ट्र में पिछले साल जून में सत्ता परिवर्तन हो गया.

सत्ता परिवर्तन होते ही EOW ने भी अपना रुख बदल लिया और अक्टूबर 2022 में कहा कि वह इस मामले की जांच को जारी रखना चाहती है. फिलहाल EOW मामले की जांच कर रही है और इस मामले में अभी चार्जशीट दाखिल होना बाकी है.

हालांकि ईडी अप्रैल में ही इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है. चार्जशीट में बैंक घोटाले में अजित पवार की भूमिका क्या रही इसको विस्तार से बताया गया है. हालांकि चार्जशीट में अजित पवार को आरोपी नहीं बताया गया है. कुल मिलाकर पवार को अभी इस मामले में क्लीन चिट नहीं मिली है.

सिंचाई घोटाला
कांग्रेस-एनसीपी सरकार में अजित पवार के जल संसाधन मंत्री रहने के दौरान उन पर  विदर्भ सिंचाई परियोजना में घोटाले का आरोप लगा था. जनहित याचिका के आधार पर भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था और कोर्ट की निगरानी में इस मामले की जांच शुरू की थी.

हालांकि साल 2019 में जब उन्होंने अल्पकाल के लिए देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार बनाई तो एसीबी ने  इस मामले जांच रिपोर्ट बॉम्बे हाईकोर्ट को सौंपी जिसमें उन्होंने अजित पवार को क्लीन चिट दे दी. हालांकि कोर्ट ने अभी तक इस रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया है. 

वहीं जब बीजेपी-एनसीपी सरकार के गिर जाने के बाद जैसे की दोबारा से एमवीए सत्ता में आई बीजेपी के नेताओं ने इस मामले की दोबारा से जांच किए जाने की मांग कर दी.

हसन मुश्रीफ
कोल्हापुर से एनसीपी के नेता हसन मुश्रीफ इन दिनों सर सेनापति संताजी घोरपड़े शुगर फैक्ट्री लिमिटेड की कार्यप्रणाली और उनके परिवार से जुड़ी कंपनियों में हुई कथित अनियमितताओं को लेकर ईडी की जांच का सामना कर रहे हैं.

 अपने ऊपर लगे आरोपों को लेकर हसन मुश्रीफ ने मुबई की विशेष अदालत और बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर कहा था कि ये मामला उनके खिलाफ  साजिश से प्रेरित है.

 उन्होंने कहा था कि उन्हें ईडी की जांच में घसीटने के भरसक प्रयास किये जा रहे हैं. इस मामले में हसन मुश्रीफ के तीनों बेटे भी ईडी की जांच के दायरे में हैं.

छगन भुजबल
साल 2006 में 100 करोड़ से अधिक रुपए के ठेके देने के मामले में हुई कथित अनियमितताओं को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल की गई थी. इस पीआईएल के आधार पर साल 2015 में अपराध निरोधक शाखा ने छगन भुजबल और 16 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. 

बता दें कि साल 2006 में छगन भुजबल महाराष्ट्र सरकार में PWD मंत्री थे. इसके अलावा ईडी ने छगन भुजबल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला भी दर्ज कर रखा है. छगन भुजबल को इस मामले में गिरफ्तार भी किया गया था, गिरफ्तारी के दो साल बाद उन्हें जमानत दे दी गई थी. 

वहीं साल 2021 में जब एमवीए सत्ता में आई तो एक विशेष अदालत ने भुजबल और अन्य 16 लोगों को इन आरोपों से बरी कर दिया था. हालांकि इसके बाद एक कार्यकर्ता ने बॉम्बे हाई कोर्ट में विशेष अदालत के इस फैसले को चुनौती दी थी, बॉम्बे हाई कोर्ट में अभी यह याचिका लंबित है.

 इसके अलावा एसीबी ने मुंबई यूनिवर्सिटी भ्रष्टाचार मामले में भी छगन भुजबल के खिलाफ केस दर्ज किया है जो विशेष अदालत में लंबित है. वहीं छगन भुजबल ने इस मामले से उन्हें बरी किए जाने को लेकर याचिका दाखिल की है जिसपर सुनवाई होनी बाकी है.

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