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India Daily

भारत से माओवादी उग्रवाद को 2026 तक खत्म करने के लिए ताबूत में आखिरी कील साबित होगी बसवराजू की मौत

15 करोड़ का इनामी बसवराजू भारत का सबसे वांछित नक्सली थी जिसने कई घातक हमलों को अंजाम दिया. बसवराजू का खात्मा माओवादी हिंसा के खिलाफ दशकों से चली आ रही लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ है.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Naxal Basavarajus death will be the last nail in the coffin to end Maoist insurgency from India by 2

माओवादी उग्रवाद के खिलाफ चल रही इतिहास की सबसे निर्णायक लड़ाई में सुरक्षा बलों ने छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ के घने जंगलों में अभियान चलाकर भाकपा (माओवादी) के महासचिव और सर्वोच्च कमांडर नम्बाला केशव राव उर्फ बसवराजू को मार गिराया.

15 करोड़ का इनामी बसवराजू भारत का सबसे वांछित नक्सली थी जिसने कई घातक हमलों को अंजाम दिया. बसवराजू का खात्मा माओवादी हिंसा के खिलाफ दशकों से चली आ रही लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ है.

पढ़ा लिखा नौजवान कैसे बना माओवादी कमांडर

आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के जियान्नापेटा गांव के रहने वाले बसवराजू का जन्म 1955 में एक साधारण परिवार में हुआ था. उसके पिता एक स्कूल में शिक्षक थे. राजू ने अपने पैतृक गांव और पास के तालागाम  में शुरुआती तालीम लेने के बाद वारंगल में क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज (अब एनआईटी) से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की.

कॉलेज के दिनों में ही वह रेडिकल स्टूडेंट्स यूनियन और बाद में सीपीआई (एमएल) पीपुल्स के जरिए कट्टरपंथी राजनीति से जुड़ गया. 1984 में उसने अपनी एम.टेक की बढ़ाई बीच में छोड़कर पूरी तरह से माओवादी आंदोलन से जुड़ने का फैसला किया.

गुरिल्ला वॉर का मास्टर
माना जाता है कि बसवराजू ने 1987 में  श्रीलंका में LTTE से गुरिल्ला युद्ध का प्रशिक्षण लिया था. जहां उसने विस्फोटकों और जंगल युद्ध में महारथ हासिल की. पिछले कुछ सालों में उसने माओवादी रणनीतिकार के रूप में जबरदस्त प्रतिष्ठा अर्जित कर ली थी. माओवादियों के घातक हमलों के पीछे बसवराजू का ही दिमाग समझा जाता है.

बसवराजू द्वारा कराए गए बड़े माओवादी हमले...

2010 में दंतेवाड़ा नरंहार, जिसमें 76 CRPF के जवान मारे गए थे.

2013 में जीरम घाटी में हुए हमले में महेंद्र शर्मा जैसे शीर्ष कांग्रेस नेताओं सहित 27 लोगों की जान चली गई थी.

2003 अलीपीरी विस्फोट, तत्कालीन आंध्र प्रदेश सीएम चंद्रबाबू नायडू की हत्या का असफल प्रयास किया गया.

2018 में आंध्र प्रदेश की आरकू घाटी में टीडीपी विधायक किदारी सर्वेश्वर राव और पूर्व विधायक सिवेरी सोमा की दोहरी हत्या.

बसवराजू को विनय, गंगन्ना, प्रकाश, बीआर, उमेश और केशव सहित कई उपनामों से जाना जाता था. वह घने जंगलों में बड़ी ही सख्त गोपनीयता से अपने काम को अंजाम देता था. सुरक्षा बलों की सख्त निगरानी के बाद भी वह सालों तक गिरफ्तारी से बचता रहा.

गणपति के रिटायर होने के बाद 2018 में सीपीआई (माओवादी) के महासचिव के में उसके प्रमोशन ने विद्रोही संगठन की रणनीति और विचारधारा पर उसकी पकड़ को और मजबूत कर दिया. बसवराजू की मौत कोई अकेली सफलता नहीं थी. उसकी मौत माओवादियों के खात्मे का अंतिम चरण साबित हो सकता है. बसवराजू को मौत के घाट उतारने से पहले सुरक्षा बलों ने देश के इतिहास में सबसे बड़े और सबसे लंबे समय तक चलने वाले माओवादी विरोधी अभिानों में से एक को शुरू किया था.

छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों के खतरनाक इलाके में लगातार 24 दिनों तक चले इस अभियान ने माओवादियों के प्रमुख गुरिल्ला बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया और उच्च रैंकिंग वाले पीएलजीए कैडरों का खात्मा कर दिया. इसी के साथ सुरक्षा बलों ने एक स्पष्ट संदेश दिया कि रेड कॉरिडोर में माओवादी प्रभुत्व का युग अब तेजी से खत्म हो रहा है.

पीएम ने की सशस्त्र बलों की प्रशांसा

इस सफल अभियान के लिए पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने सशस्त्र बलों खासकर छत्तीसगढ़ पुलिस के जिला रिजर्व गार्ड (DRG) को बधाई दी. पीएम मोदी ने इसे एक उल्लेखनीय सफलता बताया और माओवाद को खत्म कर प्रभावित क्षेत्रों में शांति और विकास के संकल्प को दोहराया. गृह मंत्री ने इसे गौरव का क्षण बताते हुए उग्रवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने की केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया.

2026 तक पूरी तरह से खात्मा
बसवराजू की मौत के बाद अब माओवादी संघर्ष और विचारधारा पूरी तरह से टूट चुकी है. बचे खुचे नेता अब अलग-अलग गुट बनाकर काम कर रहे हैं. सुरक्षा बलों का लक्ष्य 2025 के अंत तक शेष बचे हुए नेतृत्व का खात्मा करना या उन्हें आत्मसमर्पण के लिए मजबूर करना है और 2026 तक माओवादी खतरे का पूर्ण उन्मूलन करना है.

शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि सुरक्षा बलों द्वारा चलाया गया यह ऑपरेशन सिर्फ एक सामरिक सफलता नहीं बल्कि मनोवैज्ञानिक मोड़ है. छत्तीसगढ़ के डीजीपी अरुण देव गौतम ने कहा कि इ अभियान ने माओवादियों की अजेयता के मिथक को तोड़ दिया है और भारत के हृदय में उग्रवाद से मुक्त भविष्य को फिर से जगा दिया है.