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'बीजेपी में हिम्मत हो तो चुनाव कराए..', उमर अब्दुल्ला ने दी पीएम मोदी को खुली चुनौती

नई दिल्ली: भारत में अगले साल लोकसभा चुनावों का आयोजन होना है जिसको लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के नेता उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव कराये जाने की भी मांग की है.

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Edited By: Vineet Kumar
'बीजेपी में हिम्मत हो तो चुनाव कराए..', उमर अब्दुल्ला ने दी पीएम मोदी को खुली चुनौती

नई दिल्ली: भारत में अगले साल लोकसभा चुनावों का आयोजन होना है जिसको लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के नेता उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव कराये जाने की भी मांग की है. अब्दुल्ला ने विधानसभा चुनावों के आयोजन की मांग करते हुए कहा कि लोगों को राजभवन के माध्यम से शासित होने के बजाय खुद की चुनी हुई सरकार के साथ काम करने का अवसर चाहिए.

चुनाव का ऐलान करो सच्चाई सामने आ जाएगी

इस दौरान अब्दुल्ला ने पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की ओर से राजनीति में ‘परिवारवाद' पर दिए गया बयान पर भी पलटवार करते हुए सवाल खड़ा किया. उल्लेखनीय है कि पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि तीन परिवार-नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां), पीपुल्स डेमोक्रेटिव पार्टी (पीडीपी) और कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से हुई मौतों के लिए  जिम्मेदार हैं.

अब्दुल्ला ने कहा, ‘मुझे प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) से कोई शिकायत नहीं है, जो एक बड़े आदमी हैं और मुझसे उम्र में बड़े भी हैं. मुझे (मेरे खिलाफ उनकी टिप्पणियों को लेकर) कोई आपत्ति नहीं है. हालांकि, मैं उनसे कहना चाहता हूं कि उन्हें विधानसभा चुनाव की घोषणा करनी चाहिए और हम देखेंगे कि जनता किसे वोट देती है.'

चुनाव कराने से डर रही है बीजेपी

इस दौरान जम्मू-कश्मीर पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा विधानसभा चुनाव हारने से डर रही है और जानबूझकर चुनाव में देरी कर रही है. पार्टी पर परिवारवाद अपनाने के आरोप पर उन्होंने कहा कि देश में वामपंथियों को छोड़कर ऐसी कोई पार्टी नहीं है, जिसमें परिवारवाद न हो. अब्दुल्ला ने इस दौरान पीएम मोदी की उस टिप्पणी का जवाब दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर आप अब्दुल्ला के उत्तराधिकारियों का विकास चाहते हैं तो नेशनल कॉन्फ्रेंस को वोट दें लेकिन अगर आप अपने बेटे, बेटी और पोते-पोतियों का विकास चाहते हैं, तो बीजेपी को वोट दें.

उन्होंने कहा,'आप (प्रधानमंत्री) लोगों को मौका नहीं दे रहे हैं...चुनाव होने दीजिए, नतीजे आपके सामने होंगे कि वे नेशनल कॉन्फ्रेंस को पसंद करते हैं या नहीं. हम उनमें से नहीं हैं जो राजभवन के जरिए लोगों पर शासन कर रहे हैं. आपको संसदीय चुनाव (अगले साल) कराने हैं, इसके साथ विधानसभा चुनाव (जम्मू-कश्मीर में) भी होने दीजिए. हमें मौका दीजिए, हम देखेंगे कि कौन सही है और कौन गलत है. भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने अपने बेटे-बेटियों को कहीं न कहीं समायोजित कर लिया है. फर्क सिर्फ इतना है कि हम इसे छिपाते नहीं हैं और स्वीकार कर लेते हैं. अगर मैं एक राजनीतिक परिवार से हूं तो इसका मतलब यह नहीं है कि मेरे लिए राजनीति में कोई जगह नहीं है. यह मेरा अधिकार है और मैं राजनीति में हूं.'

जनता के पास है हमें चुनने या अस्वीकार करने का अधिकार

अब्दुल्ला ने साल 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में लागू उपराज्यपाल शासन पर बात की और कहा कि हमारी राजनीतिक पृष्ठभूमि है और हमें अपना रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने पेश करना होगा जो या तो हमें स्वीकार करेगी या अस्वीकार करेगी. यह लोकतंत्र है और सभी को चुनाव में भाग लेने का अधिकार है.