Modi Cabinet Ministers: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कैबिनेट का गठन कर लिया. इसके बाद विभागों का भी बंटवारा कर दिया गया. भाजपा के फैसले काफी कुछ चौकाने वाले लगे. इसमें से कुछ पहले से तय माने जा रहे थे. हालांकि, गठबंधन की सरकार के कारण जितने कयास लगाए जा रहे थे. उतना कुछ अचंभित करने वाला दिखा नहीं. इस बार की सरकार में गठबंधन को भी पर्याप्त साधने की कोशिश के साथ भाजपा की गाड़ी फिर एक बार चल दी है.
इस महीने के अंत में भाजपा प्रमुख के रूप में अपने कार्यकाल के समाप्त होने के बाद उन्हें उचित रूप से स्थान दिया जाना सुनिश्चित था. हालांकि, रविवार को बहुत कम लोगों को लगा था कि वे मंत्रिमंडल में वापस आ जाएंगे.
अभी तक सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर को मंत्रिमंडल में शामिल ना करना रहस्यात्मक रहा. उन्हें हमीरपुर से लगातार पांचवीं जीत मिली. उन्हें ये कहकर मंत्री नहीं बनाया गया कि छोटे से राज्य से 2 कैबिनेट नहीं दिए जा सकते हैं.
जेडी(यू) के संजय झा बिहार के सीएम नीतीश कुमार के सबसे भरोसेमंद सिपहसालार हैं. उन्होंने ही बीजेपी के साथ तालमेल बिठाने में अहम भूमिका निभाई थी. हालांकि, बीजेपी यहां एक कैबिनेट एक राज्यमंत्री की शर्त के तहत ही आगे बढ़ी. ऐसे में वरिष्ट के तौर पर राजीव रंजन सिंह 'ललन' को मंत्री बनाया गया.
कैबिनेट गठन से पहले माना जा रहा था कि रविशंकर की वापसी होगी. पिछले कार्यकाल के बीच में ही हटने के बाद भी वो पार्टी के मामले में खड़े रहे और प्रवक्ता की भूमिका नहीं छोड़े.उन्हें कड़ी लॉबिंग के बाद टिकट दिया गया था. ऐसे में भाजपा ने विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सहयोगियों को साथ लेकर चलने के लिए सायद उन्हें मंत्रिमंडल में नहीं ला सकी.
इन्हें भी बीच में ही हटा दिया गया था. सारण से ये लालू प्रसाद के मजबूत परिवार के खिलाफ सफल होने के बावजूद वापसी करने में विफल रहे हैं.
रवनीत को वाइल्ड कार्ड एंट्री दी गई है. वहीं केरल में पार्टी के पहले विजेता सुरेश गोपी को इनाम के तौर पर मंत्रालय दिया गया है. गोपी की सफलता में ईसाई समुदाय का समर्थन भाजपा को मिलेगा. वहीं बिट्टू और हरदीप सिंह पुरी को बनाए रखना सिखों तक पहुंच और विरोध के बावजूद सेतु बनाने की चाह है
हर्ष मल्होत्रा को मनोज तिवारी के स्थान पर लाया गया. हालांकि उन्हें लगातार तीसरी बार जीतने वाले का फल भी माना जा रहा है. काफी पुख्ता कयासों के बाद भी भाजपा के मीडिया सेल प्रमुख और गढ़वाल जीतने वाले अनिल बलूनी को भी जगह नहीं मिली.
ये सारे फैसले बताते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार पहले की तरह ही चल रही है. हालांकि, उन्होंने सहयोगियों को साधा पर ऐसा कुछ नहीं हुआ की सरकार गठबंधन के दबाव में काम करने वाली है.