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'मेरे घर में भी बहन-बेटियां हैं...', ममता बनर्जी की पुलिस के आगे डटकर खड़े रहने वाले भगवाधारी ने क्या कहा?

Nabanna Abhijan March: नबन्ना अभियान मार्च के दौरान पुलिस के वाटर कैनन के आगे डटकर खड़े रहने वाले शख्स की पहचान बलराम बोस के रूप में हुई है. अब इस शख्स का कहना है कि उनके घर में भी बहन-बेटियां हैं इसलिए वह भी सड़क पर उतरे. उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार इस प्रतिवाद को सकारात्मक रूप से ले तो समस्या का सुधारा जा सकता है.

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Edited By: India Daily Live
Balram Bose
Courtesy: Social Media

कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर केस में पश्चिम बंगाल की सड़कों पर हंगामा मचा हुआ है. पश्चिम बंगा छात्र परिषद के आह्वान पर मंगलवार को एक बड़ी भीड़ कोलकाता की सड़कों पर उतरी. लोगों ने सचिवालय 'नबन्ना भवन' जाने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने रास्ते में ही उन्हें रोक दिया. इस दौरान सड़क पर पुलिस के वाटर कैनन के आगे डटकर खड़े एक भगवाधारी का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ. अब उस भगवाधारी की पहचान हो गई है. उनकी पहचान बलराम बोस के रूप में हुई है. बलराम का कहना है कि उनके घर में भी बहन-बेटियां हैं इसलिए वह भी सड़क पर उतरे और पुलिस से भी कहा कि गुलामी की बेड़ियां छोड़ दो और साथ चलो.

मंगलवार को नबन्ना अभियान मार्च में शामिल होने के सवाल पर बलराम बोस ने कहा, 'छात्रों ने आंदोलन बुलाया था लेकिन कहा था कि हर घर से एक आदमी को जाना चाहिए. मेरे घर में भी बहन-बेटियां हैं तो हमें उनकी सुरक्षा की चिंता करनी है. अगर समाज सुरक्षित रहे तो नारी का सम्मान होगा. जिस जगह नारी का सम्मान नहीं है, वहां देवता का वास नहीं होता. लड़कियों को सम्मान मिले और समाज अच्छे से चले इसीलिए हम वहां आए.'

वाटर कैनन के आग से क्यों नहीं हटे?

अब बलराम बोस ने कहा है, 'जब पानी की बौछार हो रही थी तो मुझे महान कवि अरविंद घोष की बातें याद आईं जो कहते थे कि जो काम करना है या करो या फिर मरो. हमारे आंदोलन का मकसद था कि बात को नबन्ना तक पहुंचाना था. मैं दिखा रहा था कि तानाशाही शासन के सामने मैं गुलामी की बेड़ियां तोड़ने काम कर रहा हूं. मैं पुलिसवालों को भी यही दिखा रहा था कि बेड़ियां तोड़ो और हमारे साथ चलो या फिर इतना पानी फेंको कि हम बह जाएं.'

इस केस में राज्य सरकार की भूमिका पर उन्होंने कहा, 'प्रशासन को देखना चाहिए कि महिलाओं को सुरक्षा देने की जिम्मेदारी उनकी है. प्रतिवाद होगा, इससे प्रशासन को दिखाया जाता है कि तुम गलती कर रहे हो इसे ठीक करो. अगर कोई प्रशासक उसे सकारात्मक तरीके से ले तो उसे सुधार सकता है लेकिन अगर उसे न सुधारना हो तो कुछ नहीं होगा.' उन्होंने यह भी कहा कि वह एक सनातनी और शिव भक्त हैं और अगर सनातनी होना गुनाह है तो वह गुनहगार हैं.