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Lok Sabha Elections 2024: मानने से ही होती है हार, कौन हैं के पद्मराजन जिन्हें 238 बार मिली हार, अब 239वीं बार के लिए तैयार

Lok Sabha Elections 2024: छोटे से लेकर बड़े चुनाव में हर उम्मीदवार चाहता है कि वो जीते, लेकिन देश में एक ऐसे शख्स भी हैं जो अपनी हार का रिकॉर्ड बना रहे हैं. उन्होंने मोदी, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के खिलाफ भी चुनाव लड़ा है.

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Lok Sabha Elections 2024: गांव की पंचायत से लेकर देश की पंचायत यानी संसद के सदस्य का चुनाव लड़ने में प्रत्याशी अपनी आन-बान-शान लगा देते हैं. किसी भी कीमत पर अपनी जीत चाहते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जो एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों बार हार का मुंह देखने के बाद भी हारे नहीं हैं. तमिलनाडु के रहने वाले के पद्मराजन एक ऐसे शख्स हैं जो इस बार 239वीं चुनाव (लोकसभा चुनाव 2024) लड़ने जा रहे हैं. 

के पद्मराजन तमिलनाडु के मेट्टूर जिले के रहने वाले हैं. पेशे से टायर रिपेयरिंग का काम करने वाले के पद्मराजन 238 बार हार चुके हैं. लेकिन इसका उन पर कोई असर नहीं है. अब वे 239वीं बार लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि पद्मराजन ने साल 1988 में अपने होम टाउन मेट्टूर से चुनाव लड़ना शुरू किया था. 

सामान्य व्यक्ति भी लड़ सकता है चुनाव

पद्मराजन ने एक मीडिया रिपोर्ट में कहा कि जब उन्होंने पहली बार अपनी दावेदारी पेश की लोग उन पर हंसे थे. लेकिन उन्होंने कहा कि ने साबित करना चाहते थे, एक सामान्य आदमी भी चुनाव में भाग ले सकता है. के पद्मराजन ने अपनी मूंछों में ताव देते हुए कहा कि सभी उम्मीदवार चुनाव में जीत चाहते हैं. 

उन्होंने कहा कि उनके लिए जीत चुनाव में भाग लेने में है, वे जानते हैं कि उनकी हार निश्चित रूप से होनी है, लेकिन वे हारकर भी खुश होते हैं. उन्होंने कहा कि इस साल 19 अप्रैल से शुरू होने वाले और छह सप्ताह तक चलने वाले आम चुनावों में वह तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले की एक संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.

मोदी, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के खिलाफ भी लड़े

इलेक्शन किंग के नाम से मशहूर के पद्मराजन ने राष्ट्रपति से लेकर स्थानीय चुनावों तक में हिस्सा लिया है. इतना ही नहीं, पद्मराजन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और राहुल गांधी के खिलाफ भी चुनाव लड़ा है, लेकिन हर बार वे हारे हैं. 

उन्होंने कहा कि मेरे सामने चुनाव कौन है? मेरी हार होगी, इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है. उनका उद्देश्य सिर्फ अपनी हार के सिलसिले को लगातार बढ़ाना है. हालांकि इसके लिए उन्होंने अभी लाखों रुपये का खर्चा भी किया है, क्योंकि नामाकंन के दौरान प्रत्याशी को एक रकम जमा करनी पड़ती है, जो एक खास वोट प्रतिशत नहीं मिलने पर जब्त हो जाती है. 

2011 के विधानसभा चुनाव में किया था कमाल

हालांकि उन्होंने हार से भी जीत हासिल की है. उन्हें भारत में सबसे ज्यादा बार हारने वाले उम्मीदवार के रूप में लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पद्मराजन ने साल 2011 में विधानसभा चुनाव के दौरान काफी बेहतर प्रदर्शन किया था. उन्हें मेट्टूर विधानसभा चुनाव के लिए खड़े हुए थे, जिसमें उन्हें 6,273 वोट मिले. 

टायर रिपेयरिंग के साथ-साथ पद्मराजन लोगों का होम्योपैथिक इलाज भी करते हैं. इसके अलावा वे एक स्थानीय मीडिया हाउस के लिए भी काम करते हैं. पद्मराजन का कहना है कि वे अपनी आखिरी सांस तक चुनाव लड़ते रहेंगे. फिर हंसते हुए उन्होंने कहा कि अगर वे किसी बार जीत गए तो उन्हें दिल का दौरा पड़ जाएगा.