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Lok Sabha Elections 2024: Modi ka Parivar पर रार, हरियाणा में चौटाला परिवार सबसे बड़ा राजनीतिक घराना, यहां देखें फैमिली ट्री

Modi ka Parivar:राजनीति में परिवारवाद और वंशवाद देश के अलग-अलग राज्यों और राजनीतिक दलों में देखने के लिए मिलता है. इससे कोई राजनीतिक दल अछूता नहीं है. आज हम आपको हरियाणा के देवीलाल चौधारी यानी चौटाला परिवार के बारे में बता रहे हैं.

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Pankaj Soni
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Modi ka Parivar: राजनीति में परिवारवाद और वंशवाद के खिलाफ पीएम मोदी लगातार हमलावर रहते हैं. वहीं बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2024 में 'मोदी का परिवार' नाम की मुहिम शुरू कर दी है. वर्तमान में करीब-करीब हर राज्य में और हर दल में वंशवाद या फिर परिवारवाद देखने के लिए मिल जाता है. आज हम आपको हरियाणा के सबसे बड़े राजनीतिक घराने चौटाला परिवार के बारे में बताएंगे, जिनके परिवार से अधिकतर लोग राजनीति में हैं.

एक समय चौटाला परिवार का राजनीतिक दल इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) था. लेकिन 2018 में परिवार में आपसी झगड़े के बाद दुष्यंत चौटाला ने जननायक जनता पार्टी बना ली. अब इस परिवार के अधिकतर सदस्य इन्हीं दो दलों में हैं. 

यहां से शुरू होती है चौटाला परिवार की कहानी

हरियाणा में ताऊ के नाम से मशहूर चौधरी देवीलाल सिरसा जिले की डबवाली तहसील के गांव चौटाला के थे. हरियाणा में 2019 के विधानसभा चुनाव में चौटाला गांव से 5 नेता विधानसभा पहुंचे थे. हरियाणा में आज भी देवीलाल का परिवार किंगमेकर की भूमिका में है. यूपी में मुलायम सिंह यादव घराने की तरह हरियाणा में चौटाला राजनीतिक घराना है. आइए आज हम चौधरी देवीलाल के परिवार के बारे में जानते हैं. 

​चौधरी देवीलाल

हरियाणा में ताऊ के नाम से चर्चित देवीलाल 2 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने. 1989 से लेकर 1991 तक वो देश के उपप्रधानमंत्री रहे. 1952 में वो पहली बार कांग्रेस से विधायक बने थे. 1957 और 1962 में पंजाब विधानसभा के सदस्य भी रहे. 1991, 1996 और 1998 में रोहतक सीट पर अपने पुराने प्रतिद्वंद्वी भूपेंद्र सिंह हुड्डा से तीन बार चुनाव हारे. साल 1996 में देवीलाल ने इंडियन नेशनल लोक दल की स्थापना की. 1998 में वह राज्यसभा सदस्य बने और 2001 में राज्यसभा सांसद रहते हुए उनका निधन हो गया.

​ओम प्रकाश चौटाला

1926 में चौधरी देवीलाल का विवाह हरकी देवी से हुआ. इनके सबसे बड़े बेटे ओम प्रकाश चौटाला हैें. इसके बाद प्रताप चौटाला, रणजीत सिंह चौटाला और जगदीश चौटाला हुए. उनके 4 बेटे और 1 बेटी थी. 1989 में उपप्रधानमंत्री बनने से पहले हरियाणा के सीएम की कुर्सी पर उन्होंने अपने बड़े बेटे ओम प्रकाश चौटाला को बैठाया. आगे ओम प्रकाश चौटाला 4 बार हरियाणा के सीएम रहे. 

​रणजीत सिंह चौटाला

रणजीत सिंह चौटाला पढ़े-लिखे और सुलझे हुए राजनेता रहे और अपने पिता देवीलाल की सरकार में कृषि मंत्री रहे. जब देवीलाल को उपप्रधानमंत्री बनने के लिए दिल्ली जाना था तो ज्यादातर विधायक रणजीत चौटाला के समर्थन में थे, लेकिन देवीलाल ने उनके मुकाबले ओम प्रकाश चौटाला को तवज्जो दी. इसके बाद रणजीत सिंह कांग्रेस में चले गए. सिरसा की रनिया विधानसभा सीट से वह दो बार विधानसभा चुनाव हारे लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में वह बतौर निर्दलीय विधायक बनने में कामयाब रहे. मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार को उन्होंने समर्थन दे दिया.

अजय चौटाला ​

अजय चौटाला ओम प्रकाश चौटाला के बड़े बेटे हैं वहीं अभय चौटाला दूसरे बेटे हैं. अजय चौटाला ने 80 के दशक में राजनीति में प्रवेश किया. राजस्थान की दातारामगढ़ सीट से 1989 और नोहर सीट से 1993 से विधायक रहे. राजस्थान की दातारामगढ़ सीट से 1989 और नोहर सीट से 1993 में वह विधायक रहे. 1999 में भिवानी लोकसभा सीट से अजय चौटाला चुनाव जीते. 2004 में वह हरियाणा से राज्यसभा सदस्य बने. 


​नैना चौटाला

नैना चौटाला अजय चौटाला की पत्नी और दुष्यंत चौटाला की मां हैं. 2019 में हरियाणा विधानसभा में नैंना और उनके बेटे दुष्यंत चौटाला पहुंचे. 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले नैना चौटाला की भूमिका घर तक सीमित थी, लेकिन जेबीटी घोटाले में अजय चौटाला को जेल होने के बाद उन्होंने सियासत में कदम रखा. चौटाला परिवार से राजनीति में आने वाली वह पहली महिला थीं. नैना ने 2014 के चुनाव में डबवाली सीट से चुनाव लड़ा और जीता. 2019 के चुनाव में बेटे दुष्यंत की जेजेपी (जननायक जनता पार्टी) से भिवानी जिले की बाढड़ा सीट को चुना. इस इलेक्शन में भी नैना ने जीत हासिल की.

​दुष्यंत चौटाला

दुष्यंत, अजय चौटाला और नैना चौटाला के बड़े बेटे हैं. राजनीति में दुष्यंत ने 2013 में आए. दुष्यंत विदेश में पढ़ाई कर रहे थे. 2014 में दुष्यंत ने हिसार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. हरियाणा में युवाओं के बीच उनकी अच्छी फॉलोइंग है. इसी दौरान चाचा अभय चौटाला से दुष्यंत के परिवार की अनबन भी शुरू हुई और अक्टूबर 2018 में दुष्यंत और उनके छोटे भाई दिग्विजय को पार्टी से निकाल दिया. अगले महीने पिता अजय चौटाला को भी आईएनएलडी से निकालने का फरमान आ गया. 

दुष्यंत ने जननायक जनता पार्टी बनाई

दिसंबर 2018 में जींद से दुष्यंत ने जननायक जनता पार्टी के नाम से नई पार्टी का ऐलान किया. जींद की उचानाकलां सीट से दुष्यंत ने चुनाव जीता. उनकी नई-नवेली पार्टी जेजेपी 10 सीटों के साथ हरियाणा में किंगमेकर के तौर पर उभरी. सत्ता में वो बीजेपी की मनोहर लाल खट्टर सरकार में साझीदार बनी थी. हालांकि आज बीजेपी के साथ नहीं है. 

दिग्विजय चौटाला

अजय और नैना चौटाला के छोटे बेटे दिग्विजय चौटाला आईएनएलडी के 2014 के चुनाव में 19 विधायक रह चुके हैं. आज भी वो सक्रिय राजनीति में हैं. गुरुग्राम के मानेसर में 15 मार्च 2023 को दिग्विजय की शादी अमृतसर की लगन रंधावा के साथ हुई थी. इसमें कई वीआईपी पहुंचे थे.

अभय चौटाला

ओम प्रकाश चौटाला के छोटे बेटे अभय चौटाला ने पहली बार चौटाला गांव से उप सरपंच का चुनाव जीता था. विधानसभा में 2000 में पहुंचे. सिरसा जिले की रोड़ी हलका सीट से वह विधायक बने. 2005 में सिरसा जिला पंचायत के अध्यक्ष रहे. 2009 में ऐलनाबाद सीट से उपचुनाव जीतकर फिर विधायक बने. 2014 के विधानसभा चुनाव में अभय चौटाला ने जीत का सिलसिला कायम रखा. 2019 के विधानसभा चुनाव में भतीजे दुष्यंत चौटाला की पार्टी से उन्हें पटखनी मिली. 

​कांता चौटाला

अभय चौटाला की पत्नी कांता चौटाला ने 2016 के जिला पंचायत चुनाव में हाथ आजमाया था. जिला परिषद की डबवाली सीट से कांता चौटाला मैदान में उतरीं लेकिन इसी वॉर्ड से अभय के चचेरे भाई आदित्य चौटाला ने चुनाव में उनको शिकस्त दी. आईएनएलडी की सियासत में वह पिछले 2 साल से ज्यादा सक्रिय हैं. हिसार में पार्टी की बैठकों में उनकी मौजूदगी दिखती है.

​करण चौटाला

करण चौटाला, अभय चौटाला और कांता चौटाला के बड़े बेटे हैं. 2016 के सिरसा जिला पंचायत चुनाव में करण जीते. इसके बाद वह जिला परिषद के उपाध्यक्ष भी बने. 2022 में सिरसा जिला परिषद के चेयरमैन बने. इस समय करण अपने पिता के साथ आईएनएलडी की राजनीति में ऐक्टिव हैं. 


अर्जुन चौटाला

अर्जुन चौटाला, अभय चौटाला के छोटे बेटे हैं. आईएनएलडी की यूथ विंग की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के अध्यक्ष हैं. हरियाणा के अलग-अलग हिस्सों से निकल रही परिवर्तन यात्रा में अर्जुन अपने पिता अभय चौटाला के साथ सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. कुरुक्षेत्र से 2019 के लोकसभा चुनाव में अर्जुन चौटाला उतरे थे लेकिन उनको हार मिली थी.