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Electoral Bonds: 'सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पूरी तरह सम्मान करता हूं लेकिन...', चुनावी बांड पर क्या बोले शाह?

15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार की चुनावी बांड स्कीम को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि यह असंवैधानिक है.

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Amit Shah on Electoral Bonds

Amit Shah On Supreme Court Order On Electoral Bonds: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चुनावी बांड पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर शुक्रवार को अपनी प्रतिक्रिया दी.उन्होंने कहा कि यह स्कीम (चुनावी बांड स्कीम) राजनीति में काले धन के वर्चस्व को खत्म करने के लिए एक पहल थी, इस स्कीम को खत्म करने के बजाय इसमें सुधार किया जाना चाहिए.

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बातचीत के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ' भारतीय राजनीति में काले धन के प्रभाव को खत्म करने के लिए इस स्कीम को लाया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है उसे सभी को मानना होगा लेकिन मेरा मानना है कि चुनावी बांड्स स्कीम को पूरी तरह से खत्म करने के बजाय इसमें सुधार करना चाहिए.'

सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दी थी इलेक्टोरल बांड स्कीम

बता दें कि 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार की चुनावी बांड स्कीम को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि यह असंवैधानिक है.

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को डोनर्स की जानकारी भी सार्वजनिक करने को कहा था ताकि आम जन को पता चल सके कि किस पार्टी ने किस संस्थान या व्यक्ति से चंदे के रूप में कितना पैसा लिया है और इस लेनदेन में कितनी पारदर्शिता है.

 14 मार्च को चुनाव आयोग ने जब एसबीआई द्वारा दिए गए इलेक्टोरल बांड के डेटा को सार्वजनिक किया तो इस पर कई तरह के सवाल उठे. दानदाताओं में कई ऐसे नाम थे जिन पर जांच एजेंसियों ने छापेमारी की थी.  

बीजेपी को 6000 करोड़ मिलेगा बाकी 14000 करोड़ कहां गए- शाह
शुक्रवार को बातचीत के दौरान शाह ने कहा कि इस तरह की धारणा है कि इलेक्टोरल बांड का सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को हुआ क्योंकि वह सत्ता में है. 'मैं इस बारे अपना पक्ष साफ कर देना चाहता हूं. कुल 20,000 करोड़ के इलेक्टोरल बांड्स में से बीजेपी को लगभग 6000 करोड़ मिले. बाकी के बांड्स कहां गए. टीएमसी को 1600 करोड़, कांग्रेस कसो 1400 करोड़, बीआरएस को 1200 करोड़, बीजेडी को 750 करोड़ और डीएमके को 639 करोड़ मिले.'

उन्होंने आगे कहा, '303 सांसद होने के बावजूद हमें 6000 करोड़ मिले और बाकियों को 242 सांसद होने के बावजूद 14000 करोड़ मिले. फिस किस बात को लेकर हंगामा है. मैं कह सकता हूं कि एक बार हिसाब-किताब हो जाने के बाद वे आपका सामना नहीं कर पाएंगे.'

'पहले राजनीतिक दल कैश में चंदा लेते थे'

गृह मंत्री ने कहा कि चुनावी बांड से पहले विपक्षी पार्टियां कैश (नकद) में राजनीतिक चंदा लेती थीं. जब उन्हें 1,100 रुपए का चंदा मिलता था तो वे 100 रुपए पार्टी को देते थे और बाकी 1000 रुपए अपनी जेब में रख लेते थे.

चंदा देने वालों में कई बड़े नाम

बता दें कि एसबीआई द्वारा जारी किए गए चुनावी बांड के डेटा के मुताबिक तमिलनाडु की कंपनी फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज ने (1368 करोड़) ने सबसे अधिक चंदा दिया. वहीं स्टील बिजनेसमैन लक्ष्मी मित्तल, सुनील भारती मित्तल, महिंद्रा एंड महिंद्रा, डीएलएफ, पीवीआर, बिरला, बजाज, जिंदल्स, स्पाइसजेट, इंडिगो, गोयंका जैसे बड़े उद्योगपति भी चंदा देने वालों की लिस्ट में शामिल हैं.