Himachal School Board Result 2025: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सुदूर गांव मांगण की 18 साल की बबली ने अपनी मेहनत और हिम्मत से न केवल अपनी जिंदगी बदली, बल्कि पूरे समुदाय के लिए प्रेरणा बन गई. स्कूल जाने के लिए उन्हें हर दिन 10 किलोमीटर का खतरनाक पहाड़ी रास्ता तय करना पड़ता था. जिसमें भूस्खलन और जंगली जानवरों का खतरा हमेशा बना रहता था. फिर भी, बबली ने हार नहीं मानी और अपनी लगन से हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की 12वीं कक्षा की मेरिट सूची में स्थान हासिल किया.
मांगण से स्कूल तक का रास्ता आसान नहीं था. घने जंगलों और पथरीले रास्तों से गुजरते हुए बबली को हर दिन छह घंटे की यात्रा करनी पड़ती थी. सुबह 5 बजे उठकर वह 7 बजे स्कूल के लिए निकलती थीं और शाम 6:30 बजे ही घर लौट पाती थी. बबली ने बताया, "एक बार मेरी बहन निशा और मैंने स्कूल जाते समय एक तेंदुआ देखा था. हमने सुरक्षा के लिए खुद को झाड़ियों के पीछे छिपा लिया. यह बहुत डरावना था.' मानसून के दौरान भूस्खलन का खतरा और जंगली जानवरों की मौजूदगी इस यात्रा को और जोखिम भरा बनाती थी.
मेरिट सूची में शानदार प्रदर्शन
17 मई 2025 को हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने 12वीं कक्षा के परिणाम घोषित किए. इस परीक्षा में 93,494 छात्र शामिल हुए थे. बबली ने 500 में से 472 अंक प्राप्त कर मेरिट सूची में जगह बनाई. उनकी इस उपलब्धि ने न केवल उनके गांव मांगण को गौरवान्वित किया, बल्कि सड़क और बुनियादी सुविधाओं की कमी जैसे मुद्दों को भी सामने लाया. बबली ने कहा, "मुझे सिर्फ़ अपनी परीक्षा पास करने की नहीं, बल्कि अपने पिता को सही साबित करना था.'
पिता का अटूट समर्थन
बबली के पिता मनी राम, जो एक किसान हैं, उन्होंने अपनी बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए हर मुश्किल का सामना किया. गांववालों के ताने और सवालों के बावजूद उन्होंने बबली को स्कूल भेजना जारी रखा. मनी राम ने गर्व से कहा, "लोगों ने मुझसे कहा कि मेरी बेटियों को स्कूल भेजना उचित नहीं है. लेकिन बबली ने हमारे गांव को गौरवान्वित किया है और साबित किया है कि उस पर मेरा भरोसा जायज था.'
गांव की चुनौतियां और उम्मीद की किरण
मांगण गांव जराल ग्राम पंचायत के माझंगन वार्ड में स्थित है, जहां सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है. निकटतम स्वास्थ्य केंद्र 25 किमी दूर नीरी में है. स्थानीय लोग मरीजों को पालकी में ले जाते हैं, और किसानों को अपनी उपज बाजार तक पहुंचाने में भारी खर्च उठाना पड़ता है. बबली की सफलता ने इन समस्याओं पर ध्यान आकर्षित किया है. जराल ग्राम पंचायत की प्रधान चिंता देवी ने कहा, "उसने हमारे समुदाय को गौरवान्वित किया है और सड़क की समस्या को उजागर करने में सफल रही है.'
भविष्य की योजनाएं
वकील बनने का सपना देखने वाली बबली अपनी इस उपलब्धि को पहला कदम मानती है. वह कहती हैं, "मैं कॉलेज में पढ़ना चाहती हूं और अपने समुदाय की सेवा करना चाहती हूं.'
सड़क संपर्क की मांग
स्थानीय विधायक राकेश जामवाल ने बबली को “क्षेत्र के लिए प्रेरणा” बताते हुए कहा, "मैं मांगण की सड़क को प्राथमिकता दे रहा हूं. यह गांव जल्द ही प्रगति करेगा.' बबली की उपलब्धि ने गांव में सड़क और बुनियादी सुविधाओं की मांग को और बल दिया है. बबली की कहानी साहस, मेहनत और शिक्षा की ताकत का प्रतीक है. उनकी उपलब्धि न केवल मांगण के लिए, बल्कि उन सभी के लिए प्रेरणा है जो मुश्किलों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने का हौसला रखते हैं.