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ना मुस्लिम, ना सिख पहली बार इस समुदाय के नेता को मिला अल्पसंख्यक मंत्रालय, मोदी सरकार ने क्यों बदली रवायत?

नरेंद्र मोदी कैबिनेट में शामिल नेताओं के बीच विभागों का बंटवारा कर दिया गया है. सबसे ज्यादा चर्चा में इस बार अल्पसंख्यक मंत्रालय है. इस मंत्रालय का चार्ज ऐसे सांसद को दिया गया है, जो न तो मुस्लिम हैं और न सिख.

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Edited By: India Daily Live
Minority Welfare Ministry
Courtesy: Social Media

Minority Welfare Ministry: 9 जून की शाम को जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, तो उसके बाद 71 अन्य सांसदों को कैबिनेट में शामिल कर मंत्री बनाया गया. इसके बाद 10 जून को मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा भी कर दिया गया. ऐसा पहली बार हुआ है, जब केंद्र सरकार में किसी मुस्लिम को मंत्री नहीं बनाया गया है. ये भी पहली बार हुआ है कि आम तौर पर मुस्लिम समुदाय को मिलने वाला  अल्पसंख्यक मंत्रालय किसी और समुदाय के सांसद को मिला है.

अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी इस बार किरेन रिजिजू को दी गई है, जो बौद्ध धर्म से आते हैं. उनके साथ इस मंत्रालय के राज्यमंत्री का प्रभार ईसाई नेता जॉर्ज कुरियन को दिया गया है, जो केरल से आते हैं. 

2019 में मुख्तार अब्बास नकवी को मिला था मंत्रालय

2019 लोकसभा चुनाव के बाद अल्पसंख्यक मंत्रालय भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी को दिया गया था. हालांकि, 2022 में उनसे मंत्रालय का प्रभार वापस ले लिया गया था और इस मंत्रालय को स्मृति ईरानी को सौंप दिया गया था. स्मृति के साथ इस मंत्रालय में राज्य मंत्री का प्रभार संभालने वाले जॉन बरला ईसाई थे. 

2024 के आम चुनाव में देशभर से 115 मुस्लिम प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था. इनमें से मात्र 24 मुस्लिम प्रत्याशी सांसद चुने गए हैं, जो संसद पहुंचे हैं, लेकिन सत्ता में काबिज एनडीए में शामिल अधिकतर पार्टियों से एक भी मुस्लिम नेता चुनाव जीतकर संसद नहीं पहुंचा है.

लोकसभा चुनाव जीतने वाले 24 मुस्लिम सांसदों में से 21 इंडिया गठबंधन के हैं, जबकि AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी और बारामूला से निर्दलीय इंजीनियर राशिद और लद्दाख से मोहम्मद हनीफा भी निर्दलीय चुने गए हैं. INDIA गठबंधन के 21 सांसदों में से 9 कांग्रेस, 5 टीएमसी, 4 समाजवादी पार्टी, 3 इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, 1 नेशनल कॉफ्रेंस के हैं.

लोकसभा की कुल संख्या में 4.42 फीसदी मुस्लिम सांसदों की हिस्सेदारी

2024 आम चुनाव के बाद निचले सदन यानी लोकसभा में मुस्लिम सांसदों की कुल हिस्सेदारी अब मात्र 4.42 फीसदी रह गई है. साल 1980 में 49 मुस्लिम सांसद चुने गए थे, जो रिकॉर्ड है. इसके बाद साल 1984 के लोकसभा चुनाव में 45 मुस्लिम प्रत्याशी सांसद चुने गए थे. इसके बाद हुए लोकसभा चुनावों में कभी भी मुस्लिम सांसदों की संख्या 40 या इससे अधिक नहीं पहुंची है. 2024 से पहले यानी 2019 में हुए आम चुनाव में 26 मुस्लिम प्रत्याशियों को जीत हासिल हुई थी. वहीं, 2014 में मात्र 23 मुस्लिम प्रत्याशी सांसद चुने गए थे.