Karnataka Water Crisis: नॉर्थ कर्नाटक इन दिनों भयंकर सूखे की चपेट में हैं. कुछ इलाकों में महीने में एक बार पानी की सप्लाई की जा रही है. पानी को लेकर जो नॉर्थ कर्नाटक में संकट बना हुआ है, उससे साफ संकेत मिलता है कि आने वाले गर्मी के दिनों में इस इलाके को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि, ये पहली बार भी नहीं है कि नॉर्थ कर्नाटक को भयंकर पानी के संकट का सामना करना पड़ रहा है. पानी के संकट से न सिर्फ आम बल्कि खास लोग भी जूझ रहे हैं. खबर आई थी कि डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के घर का भी बोरवेल सूख गया है. उधर, बेंगलुरु के कई अस्पतालों ने पानी के संकट से निपटने के लिए अपनी तैयारियों को पूरा कर लिया है.
वैदेही इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर, फोर्टिस हॉस्पिटल्स, अथरेया हॉस्पिटल, विक्टोरिया हॉस्पिटल और अपोलो हॉस्पिटल समेत बेंगलुरु के अस्पताल भी पानी की कमी से जूझ रहे हैं. इस संकट से निपटने के लिए ये अस्पताल समाधान के लिए रीसायकल किए गए पानी का यूज करने और टैंकरों पर निर्भर रहने जैसे उपायों को लागू कर रहे हैं.
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में पानी के संकट ने बड़े और छोटे दोनों तरह के अस्पतालों को अपनी चपेट में लिया है. टायलेट्स में फ्लशिंग के लिए रीसाइकल वाटर का यूज करने से लेकर बोरवेल खोदने तक, अस्पतालों ने संकट से निपटने के कई तरीके अपनाए हैं. व्हाइटफील्ड के वैदेही इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर के चीफ एडमिनिस्ट्रिटेटिव अफसर डॉक्टर रवि बाबू ने पानी के संकट को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा किहर दिन, हमें औसतन 10 लाख लीटर पानी की ज़रूरत होती है. हमारे बोरवेल, हमारी आवश्यकता का केवल 20-30% ही पूरा कर रहे हैं.
बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड (BWSSB) की ओर से अब पानी की आपूर्ति नहीं किए जाने के कारण, वैदेही इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर को टैंकरों पर निर्भर रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
डॉक्टर रवि बाबू ने कहा कि प्रशासक होने के नाते, मेरे लिए हर दिन मुश्किल हो रहा है. मुझे टैंकर मालिकों के दबाव के आगे झुकना पड़ रहा है. वे 120 रुपये प्रति किलोलीटर चार्ज कर रहे हैं.
बन्नेरघट्टा रोड के फोर्टिस हॉस्पिटल के डिप्टी जीएम-जनरल एडमिनिस्ट्रेशन प्रवीण वली ने कहा कि हमारे पास पानी के तीन स्रोत हैं, जिनमें बोरवेल, टैंकर और BWSSB है. अस्पताल मैनेजमेंट की ओर से कहा गया कि हमारे बोरवेल सूखे हैं. इसलिए हम टैंकरों पर निर्भर हैं. वे हमें संकेत दे रहे हैं कि आगे चलकर, हम मुसीबत में पड़ सकते हैं.
चंदपुरा में अथ्रेया अस्पताल अपने तीन बोरवेलों पर पूरी तरह से निर्भर है, जिनमें से एक 1900 फीट गहरा है. हॉस्पिटल के संस्थापक डॉ. नारायणस्वामी ने कहा कि हमारे अस्पताल में पानी की रोजाना की खपत लगभग 10,000 लीटर है. उन्होंने कहा कि हम एक दिन में 5-6 सर्जरी करते हैं. हमारे अस्पताल में किसी भी दिन कम से कम 45 बिस्तर भरे होते हैं और कैंपस में 350 मरीज़ आ सकते हैं. एक फ्लश में आसानी से 10-15 लीटर पानी खर्च हो जाता है.
पानी की बढ़ती मांग के कारण इलाज में अतिरिक्त लागत भी बढ़ा दी गई है.
विक्टोरिया अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉक्टर दीपक शिवन्ना ने कहा कि हमने कर्मचारियों और मरीजों को पानी बचाने के प्रति जागरूक करने के लिए सर्कुलर जारी किया है. उन्होंने कहा कि फिलहाल अस्पताल में दो अच्छे बोरवेल हैं, वह अगले कुछ हफ्तों में दो और बोरवेल लगाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. उन्होंने ये भी कहा कि हमलोगों ने BWSSB से अस्पताल में पानी की आपूर्ति न करने का अनुरोध किया है, ताकि उस पानी का कही और यूज किया जा सके.
अक्सर गर्मी के मौसम में नॉर्थ कर्नाटक में पानी का संकट होता है, लेकिन इस बार ये संकट काफी गंभीर दिख रहा है. बेंगलुरुवासियों ने कहा कि अक्सर गर्मियों में पानी की आपूर्ति प्रभावित होती है और हमें हर सात से आठ दिनों में पानी मिलता है, लेकिन इस साल अभी गर्मी आई भी नहीं है और सूखे का भयंकर संकट गहरा गया है. जहां पानी को रिस्टोर करने सुविधा है, वहां के लिए तो थोड़ी राहत वाली स्थिति है, लेकिन जहां ये सुविधा नहीं है, वहां स्थिति काफी गंभीर है.
कर्नाटक हाल के वर्षों में अपने सबसे खराब सूखे में से एक का सामना कर रहा है, जबकि बेंगलुरु की पानी की कमी की चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है. विशेष रूप से उत्तरी कर्नाटक में स्थिति विशेष रूप से गंभीर है. हावेरी और गडग जैसे शहरों में जहां जल स्रोत मार्च से सूखने लगे हैं, वहां के लोगों का कहना है कि उन्हें जल आपूर्ति के लिए 15 दिनों से लेकर 30 दिनों तक इंतजार करने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
गडग के डिप्टी कमिश्नर एमएल विशाली ने बताया कि गर्मी के महीनों के दौरान गडग जिले में शहर और आसपास के गांवों के लिए पानी की आपूर्ति का प्रबंधन करना बहुत मुश्किल है. वहीं, हावेरी शहर नगर परिषद के आयुक्त परशुराम चलावाडी ने कहा कि नदियों में पानी की कमी के कारण शहर जल आपूर्ति के लिए बोरवेल पर निर्भर है. उन्होंने कहा कि हम शहर और उसके आसपास टैंक भरकर बोरवेल को रिचार्ज कर रहे हैं. झील से इन टैंकों में पानी डालने के लिए कई विभाग मिलकर काम कर रहे हैं.