Bengaluru water crisis: देश की टेक सिटी बेंगलुरु सूखता हुआ शहर है. हर साल की तरह इस साल भी पानी की कमी यहां के लोगों के लिए मुसिबत लेकर आई है. घरों के नल में पानी नहीं आ रहे, बोरवेल से पानी नहीं आ रहा. आवासीय सोसायटियों में हर सुबह टैंकर घुमने लगे हैं.
बेंगलुरु शहर का तापमान अभी से 36 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. मौसम विभाग ने पहले ही कर्नाटक की राजधानी के लिए भीषण गर्मी की भविष्यवाणी की है. जल संकट से सबसे अधिक प्रभावित औद्योगिक क्षेत्रों में बेंगलुरु का पीन्या औद्योगिक क्षेत्र है. पीन्या इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सेक्रेटरी यू सत्यनारायण ने बताया कि पानी की कमी उद्योगों और उत्पादन को प्रभावित कर रही है. कपड़ा उद्योग पानी पर बहुत अधिक निर्भर करता है.
उन्होंने कहा कि औद्योगिक क्षेत्रों में बोरवेल सूख गए हैं और निजी जल टैंकर महंगे हो गए हैं, जिससे उत्पादन लागत बढ़ गई है. जल संकट को देखते हुए हम BWSSB से औद्योगिक इकाइयों को उपचारित पानी की आपूर्ति करने का अनुरोध कर रहे हैं.
शहर के मौजूदा बोरवेल सूख रहे हैं और निजी जल टैंकर महंगे हो रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद तेजस्वी सूर्या ने बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड के अध्यक्ष से मुलाकात की और एक सप्ताह के भीतर समस्या का समाधान नहीं होने पर कांग्रेस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी दी.
पिछले दो साल में मानसून में बारिश की कमी देखी गई. शबर को पानी देने वाली नदी कावेरी के जल स्तर में गिरावट आई है. जिससे पानी की सप्लाई चेन पर असर पड़ा है. इसके अलावा, बोरवेलों की कमी ने स्थिति को और खराब कर दिया है, जिससे तत्काल कार्रवाई की सख्त आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है. उपमुख्यमंत्री शिवकुमार ने खुलासा किया कि बेंगलुरु महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (बीएमआरडीए) और बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड (बीडब्ल्यूएसएसबी) के तहत 14,781 बोरवेलों में से 6,997 ने पानी देना बंद कर दिया है.
कर्नाटक के प्राकृतिक आपदा प्रबंधन केंद्र ने अनुसार शहर में तलाब की संख्या कम हो गए हैं. कावेरी बेसिन के जलाशयों में कुल क्षमता का 39 फीसदी ही पानी है. जलाशय वर्तमान में लगभग 44.65 टीएमसी (हजार मिलियन क्यूबिक फीट) पानी है, जो पिछले वर्ष से काफी कम है. शहर के बाहरी इलाकों में पानी की कमी विशेष रूप से गंभीर है.