नई दिल्ली: देश भर में हो रहे जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है. भीषण गर्मी से लोग बेहाल हैं. और इसी बीच नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के आंकड़ों के अनुसार 3 जुलाई को पृथ्वी पर सबसे गर्म दिन के रूप में दर्ज किया गया है. मेन विश्वविद्यालय द्वारा विश्लेषण किए गए आंकड़ों के अनुसार 3 जुलाई को ग्रह की सतह से 2 मीटर ऊपर औसत वैश्विक हवा का तापमान 62.62 डिग्री फ़ारेनहाइट या 17.01 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है.
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के रॉबर्ट रोहडे ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा कि नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल प्रेडिक्शन ने 3 जुलाई को पृथ्वी के औसत तापमान अब तक का सबसे ज्यादा बताया है. यह ग्लोबल वार्मिंग के शीर्ष पर एल नीनो के संयोजन से प्रेरित है, और हम अगले 6 हफ्तों में कुछ और भी गर्म दिन देख सकते हैं।"
प्रशांत महासागर में गर्म पानी की अवधि
एनओएए के अनुसार, स्पैनिश में अल नीनो का मतलब छोटा लड़का होता है. दक्षिण अमेरिकी मछुआरों ने पहली बार 1600 के दशक में प्रशांत महासागर में असामान्य रूप से गर्म पानी की अवधि देखी. उन्होंने जो पूरा नाम इस्तेमाल किया वह एल नीनो डी नविदाद था क्योंकि एल नीनो आमतौर पर दिसंबर के आसपास चरम पर होता है. अल नीनो हमारे मौसम को काफी प्रभावित कर सकता है. गर्म पानी के कारण प्रशांत जेट स्ट्रीम अपनी तटस्थ स्थिति से दक्षिण की ओर बढ़ने लगती है. इस बदलाव के साथ, उत्तरी अमेरिका और कनाडा के क्षेत्र सामान्य से अधिक शुष्क और गर्म हो गए हैं. लेकिन अमेरिकी खाड़ी तट और दक्षिणपूर्व में, इन अवधियों में सामान्य से अधिक नमी होती है और बाढ़ बढ़ जाती है. द हिल के अनुसार, रोहडे ने यह भी चेतावनी दी कि अगले डेढ़ महीने में और अधिक झुलसाने वाले तापमान की उम्मीद है.
ये भी पढ़ें: जनता के लिए खुशखबरी... 15 रुपये में 1 लीटर पेट्रोल! समझिए नितिन गडकरी का मेगा प्लान
7 साल पहले का टूटा रिकॉर्ड
गोरतलब है कि दुनिया भर में चल रही लू के कारण सोमवार को औसत वैश्विक तापमान 17.01 डिग्री सेल्सियस था. साल 2016 में रिकॉर्ड 16.92 डिग्री सेल्सियस को इस रिक़र्ड ने पीछे छोड़ दिया है. बात अगर उत्तरी अफ्रीका की करें तो यहां का तापमान करीब 50 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार अंटार्कटिका में इस समय सर्दियों का मौसम है, लेकिन यहां भी उच्च तापमान दर्ज किया गया है
वैज्ञानिकों ने मौत की सजा बताई
ब्रिटेन के जलवायु वैज्ञानिक फ्रेडरिक ओटो ने कहा है कि यह कोई मील का पत्थर नहीं है, जिसका हमें जश्न मनाना चाहिए. यह लोगों के लिए मौत की सजा है. दूसरी तरफ अन्य वैज्ञानिकों ने इसके लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार बताया है. शोधकर्ताओं के अनुसार अल नीनो नामक प्राकृतिक मौसम घटना और इंसानों की ओर से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के संयोजन से गर्मी बढ़ रही है.
ये भी पढ़ें: Delhi Metro में भोले के भक्तों ने बाबा के गाने पर किया ऐसा डांस कि झूम उठी पब्लिक