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Lok Sabha Elections 2024: स्टार्टअप है बीजेपी तो कांग्रेस है पुरानी कंपनी, इलेक्टोरल बॉन्ड पर जयराम रमेश ने घेरा

Lok Sabha Elections 2024:: कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कांग्रेस को स्थापित किया और बीजेपी को एक स्टार्टअप पार्टी करार दिया है. इस दौर उन्होंने यह दावा किया है कि उनकी पार्टी वापसी करने वाली है.

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Jairam Ramesh

Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता जयराम रमेश ने कांग्रेस को स्थापित किया और बीजेपी को एक स्टार्टअप पार्टी करार दिया है. जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस अच्छी तरह से स्थापित किया है, जिसकी मार्केट कैप में उतार-चढ़ाव होता रहता है.

जयराम रमेश ने आगे यह दावा किया कि पार्टी फिर से वापसी करेगी. समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत करते हुए उन्होंने इस बात को भी खारिज कर दिया कि बीजेपी की सफलता के पीछे प्रधानमंत्री का करिश्माई नेतृत्व है.

कांग्रेस-BJP पर क्या बोले जयराम रमेश

कांग्रेस में नए चेहरे को आगे लाने के सवाल पर जयराम रमेश ने कहा कि यह जरूरी है लेकिन मुश्किल है क्योंकि लंबे समय से लोग पार्टी में हैं. उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी के लिए यह आसान है क्योंकि कई राज्यों में बीजेपी एक स्टार्टअप है. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस एक स्थापित कंपनी है जिसके मार्केट कैप में उतार चढ़ाव होता रहता है. उन्होंने आगे कहा कि एक ‘स्टार्टअप’ में बहुत सारे लोगों को शामिल किया जा सकता है. ऐसे में जिस व्यक्ति को कांग्रेस में टिकट नहीं मिलता, वह भाजपा में शामिल हो जाता है.

करिश्माई नेता वाली धारणा में विश्वास नहीं- जयराम

जयराम रमेश ने कहा कि मैं करिश्माई नेता वाली धारणा में बहुत विश्वास नहीं रखता. उन्होंने कहा कि इस पर विश्वास करना ही खतरनाक अवधारणा है, इसलिए मैं इसमें विश्वास नहीं करता हूं. जयराम रमेश ने आगे कहा कि अगर मैं किसी करिश्माई नेता पर विश्वास करना शुरू कर दूं तो मैं स्वत: एक ‘डेमागॉग’ में विश्वास करने लगता हूं, फिर मैं मुसोलिनी (इतालवी तानाशाह) में विश्वास करने लगता हूं.

इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर बीजेपी पर हमला

इलेक्टोरल बॉन्ड पर प्रति देते हुए जयराम रमेश ने कहा कि बीजेपी ने निजी कंपनियों का इस्तेमाल किया है. जयराम रमेश ने कहा कि बीजेपी ने घोटाले के लिए 4 तरीके अपनाए हैं. बीजेपी का पहला तरीका 'चंदा दो धंधा लो', दूसरा तरीका 'ठेका लो घूस दो', तीसरा तरीका छापेमारी के बाद होता है, पहले ईडी या सीबीआई को भेजकर छापेमारी कराए जाते थे और फिर उनसे बचने के लिए कंपनियां चुनावी बॉन्ड खरीदकर बीजेपी को देती थी और चौथा रास्ता है शेल कंपनियों का इस्तेमाल.