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India Daily

आईटीबीपी के पर्वतारोहियों ने रचा इतिहास, दुनिया की 5वीं सबसे ऊंची चोटी माउंट मकालू पर फहराया तिरंगा

आईटीबीपी ने शुक्रवार को जानकारी दी कि यह ऐतिहासिक चढ़ाई 19 अप्रैल को पूरी की गई. यह अभियान नेपाल में माउंट मकालू और माउंट अन्नपूर्णा (8091 मीटर) की दोहरी अंतरराष्ट्रीय पर्वतारोहण मुहिम का हिस्सा था.

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Edited By: Gyanendra Sharma
ITBP
Courtesy: Social Media

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने एक बार फिर देश का नाम गौरवान्वित किया है. आईटीबीपी के पर्वतारोहियों ने नेपाल में स्थित विश्व की पांचवीं सबसे ऊंची चोटी माउंट मकालू (8485 मीटर) पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की. इस उपलब्धि के साथ आईटीबीपी भारत का पहला केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल बन गया है, जिसने इस दुर्गम चोटी को फतह किया. 

आईटीबीपी ने शुक्रवार को जानकारी दी कि यह ऐतिहासिक चढ़ाई 19 अप्रैल को पूरी की गई. यह अभियान नेपाल में माउंट मकालू और माउंट अन्नपूर्णा (8091 मीटर) की दोहरी अंतरराष्ट्रीय पर्वतारोहण मुहिम का हिस्सा था. इस चुनौतीपूर्ण अभियान के लिए 12 सदस्यीय आईटीबीपी टीम 21 मार्च को दिल्ली से रवाना हुई थी. इस दल का नेतृत्व डिप्टी कमांडेंट अनूप कुमार नेगी ने किया. 

एक अभूतपूर्व सफलता

आईटीबीपी की इस टीम ने न केवल माउंट मकालू, बल्कि माउंट अन्नपूर्णा की चोटी पर भी पहली बार चढ़ाई कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया. दोनों चोटियों की चढ़ाई अत्यंत जोखिम भरी और कठिन थी, लेकिन आईटीबीपी के पर्वतारोहियों ने अपने साहस, दृढ़ संकल्प और प्रशिक्षण के दम पर इसे संभव बनाया. माउंट मकालू, जो अपनी खड़ी ढलानों और प्रतिकूल मौसम के लिए जाना जाता है, विश्व के सबसे कठिन पर्वतों में से एक है. इस चोटी पर चढ़ाई न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक दृढ़ता की भी कड़ी परीक्षा थी. आईटीबीपी के जवानों ने इस चुनौती को स्वीकार कर न केवल देश का गौरव बढ़ाया, बल्कि दुनिया भर में अपनी क्षमता का लोहा मनवाया.

अनूप कुमार नेगी, डीसी/जीडी के नेतृत्व में निहास सुरेश, डीसी/जीडी उप नेता के रूप में, 12 सदस्यीय टीम को छह-छह पर्वतारोहियों के दो समूहों में विभाजित किया गया था. मकालू टीम ने 83% सफलता दर हासिल की, जिसमें पांच पर्वतारोही 19 अप्रैल 2025 को लगभग 08:15 बजे शिखर पर पहुंचे.

  • एसी संजय कुमार
  • एचसी सोनम स्टोबदान
  • एचसी प्रदीप पंवार
  • एचसी बहादुर चंद
  • सीटी विमल कुमार

अन्नपूर्णा टीम ने बर्फ़ीले तूफ़ान और सफ़ेद बर्फ़बारी की स्थिति सहित चरम मौसम का सामना किया और उसी दिन 1445 बजे सुरक्षित और ज़िम्मेदारी से पीछे हटने से पहले शिखर से सिर्फ़ 150 मीटर नीचे, 7,940 मीटर तक साहसपूर्वक चढ़ाई की.