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India Daily

जम्मू में 30 से ज्यादा पाक आतंकवादी एक्टिव, इंटेलिजेंस की चेतावनी के बाद चिल्लई कलां की सर्दियों में भी सेना ने ऑपरेशन किए तेज

जम्मू क्षेत्र में 30 से अधिक पाकिस्तानी आतंकियों की मौजूदगी की चेतावनी के बीच भारतीय सेना ने सर्दियों में भी आतंक विरोधी अभियान तेज कर दिए हैं.

Km Jaya
Edited By: Km Jaya
जम्मू में 30 से ज्यादा पाक आतंकवादी एक्टिव, इंटेलिजेंस की चेतावनी के बाद चिल्लई कलां की सर्दियों में भी सेना ने ऑपरेशन किए तेज
Courtesy: @InsightGL x account

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में इस सर्दी भी आतंकी गतिविधियों को लेकर सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सतर्क हैं. खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि जम्मू क्षेत्र में 30 से अधिक पाकिस्तानी आतंकी सक्रिय हैं. इन खतरों के बीच भारतीय सेना ने कड़ाके की ठंड के बावजूद आतंक विरोधी अभियानों को तेज कर दिया है. चिल्लई कलां के दौरान भी सेना और सुरक्षा बल किसी तरह की ढील नहीं बरत रहे हैं.

खुफिया और रक्षा सूत्रों के अनुसार लगातार दबाव में आने के बाद आतंकी अब किश्तवाड़ और डोडा के ऊंचे और मध्यम पहाड़ी इलाकों में शरण ले रहे हैं. इन इलाकों में आम नागरिकों की मौजूदगी बेहद कम है. माना जा रहा है कि आतंकी सर्दियों का फायदा उठाकर छिपने और दोबारा संगठित होने की कोशिश कर रहे हैं. पहले सर्दियों को कम गतिविधियों का समय माना जाता था, लेकिन अब सेना इस सोच को बदल रही है.

क्या है इस ऑपरेशन का उद्देश्य?

21 दिसंबर से शुरू हुए चिल्लई कलां के साथ ही सेना ने बर्फीले और दुर्गम इलाकों में अपनी मौजूदगी बढ़ा दी है. ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अस्थायी निगरानी चौकियां और फॉरवर्ड विंटर बेस बनाए गए हैं. इनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आतंकी किसी भी हाल में सुरक्षा बलों की नजर से बच न सकें. बेहद कम तापमान और भारी बर्फबारी के बावजूद ऑपरेशन लगातार जारी हैं.

सेना की टुकड़ियां पहाड़ी चोटियों, जंगलों और दूरदराज घाटियों में नियमित तलाशी अभियान चला रही हैं. इसका मकसद आतंकियों को सुरक्षित ठिकाने न बनाने देना और उनकी आवाजाही पर रोक लगाना है. अधिकारियों का कहना है कि इस रणनीति से आतंकियों की सप्लाई लाइन भी प्रभावित हो रही है और वे रिहायशी इलाकों की ओर नहीं बढ़ पा रहे हैं.

इस अभियान में कौन-कौन है शामिल?

इन अभियानों में भारतीय सेना के साथ जम्मू कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ, स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप, वन रक्षक और विलेज डिफेंस गार्ड्स भी शामिल हैं. सभी एजेंसियां मिलकर खुफिया सूचनाओं का विश्लेषण कर रही हैं ताकि आतंकी गतिविधियों पर तुरंत कार्रवाई की जा सके.

सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि स्थानीय समर्थन कमजोर होने और निचले इलाकों में सख्त निगरानी के चलते आतंकी अलग थलग पड़ गए हैं. कुछ मामलों में आतंकियों द्वारा ग्रामीणों पर भोजन और शरण के लिए दबाव बनाने की कोशिश की गई, लेकिन उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली.

किन क्षेत्रों में किए गए हैं विशेष रूप से तैनात?

विशेष रूप से प्रशिक्षित विंटर वॉरफेयर यूनिट्स को संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात किया गया है. ड्रोन, थर्मल इमेजर और ग्राउंड सेंसर की मदद से बर्फीले इलाकों में हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है. सुरक्षा बलों का साफ संदेश है कि अब खराब मौसम भी आतंकियों को बचा नहीं पाएगा.