नई दिल्ली: भारतीय सेना अपने ढांचे में अग्निवीरों की संख्या बढ़ाने के बड़े प्रस्ताव पर विचार कर रही है. मौजूदा 50,000 से बढ़ाकर हर साल 1 लाख अग्निवीरों की भर्ती करने की योजना बनाई जा रही है. वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, यह कदम PBOR (ऑफिसर रैंक से नीचे के कर्मचारी) कैडर में कमी को पूरा करने के लिए अहम माना जा रहा है.
जानकारी के मुताबिक, भारतीय सेना में इस समय लगभग 1,80,000 सैनिकों की कमी है. अधिकारियों का कहना है कि कोविड काल (2020-21) के दौरान पारंपरिक भर्ती प्रक्रिया पर लगे प्रतिबंध के कारण यह कमी तेजी से बढ़ी. भर्ती रुकी रही, लेकिन उसी अवधि में हर साल लगभग 60,000 जवान रिटायर होते रहे. यही वजह है कि सेना अब अपने ढांचे को फिर से मजबूत करने के लिए तेजी से कदम बढ़ा रही है.
पिछले दो वर्षों में भर्ती हुए, 20 वर्ष से कम आयु के 3,000 से अधिक अग्निवीरों ने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान महत्वपूर्ण योगदान दिया. सेना की एयर डिफेंस (AD) प्रणाली को सक्रिय करने और उसे संचालित करने में अग्निवीरों की भूमिका निर्णायक रही. मई 7-10 के बीच भारत-पाकिस्तान के बीच हुई झड़प के दौरान पाकिस्तान इस एयर डिफेंस कवच को तोड़ नहीं सका. सेना इसे नए मॉडल की क्षमता और युवा सैनिकों की दक्षता का बड़ा संकेत मान रही है.
अग्निपथ योजना को तीन साल पहले लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य सेना को अधिक युवा और ऑपरेशनल रूप से चुस्त बनाना था. इस मॉडल के तहत भर्ती हुए जवानों को अग्निवीर कहा जाता है. जून 2022 में NDA सरकार द्वारा इस नए मॉडल को लागू करने के साथ ही दशकों पुरानी नियमित भर्ती प्रणाली समाप्त कर दी गई.
स्कीम के प्रमुख प्रावधान:
पारंपरिक भर्ती प्रणाली में जवान लगभग 20 वर्ष तक सेवा करते थे और फिर 30 के दशक के अंत में पेंशन, चिकित्सा सुविधाएं और अन्य लाभों के साथ रिटायर होते थे. लेकिन अग्निवीरों को, पेंशन, मेडिकल सुविधाएं, कैंटीन लाभ और एक्स-सर्विसमैन स्टेटस से कोई भी सुविधा नहीं मिलती. यही पहलू सबसे अधिक विवादित भी रहा है.
सेना के अनुसार, अग्निवीरों की भर्ती बढ़ाने से, सैनिकों की भारी कमी दूर होगी, यूनिटों में जवानों की औसत उम्र कम होगी, ऑपरेशनल क्षमता में बढ़ोतरी होगी और भविष्य की युद्धक जरूरतें पूरी होंगी. यदि प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है, तो अग्निवीर मॉडल का दायरा और प्रभाव दोनों तेजी से बढ़ जाएंगे.