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पीएम के भाषण पर टिप्पणी की आलोचनाओं से आहत थरूर, बताई राजनीति में इतनी कड़वाहट क्यों?

शशि थरूर ने दुबई में कहा कि देश की राजनीति में विचारधारा की शुद्धता पर जरूरत से ज्यादा जोर दिया जा रहा है. उन्होंने पीएम के भाषण पर अपनी टिप्पणी को गलत तरीके से पेश किए जाने पर नाराजगी जताई.

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Edited By: Km Jaya
Shashi Tharoor India daily
Courtesy: @ShashiTharoor x account

नई दिल्ली: कांग्रेसी सांसद शशि थरूर और पार्टी हाईकमान के बीच खींचतान एक बार फिर सामने आ गई है. थरूर ने दुबई में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि देश की मौजूदा राजनीति में लोग सिर्फ विचारधारा की पवित्रता देखते हैं और दूसरी तरफ की बात सुनने को तैयार नहीं होते. उन्होंने कहा कि देश की व्यवस्था बहुदलीय है और इसमें केंद्र और राज्य की सरकारें अक्सर अलग विचारधारा की होती हैं, इसलिए जनता के काम के लिए विचारधारा से ऊपर उठकर सहयोग जरूरी है.

थरूर ने कहा कि आज यह माहौल बन गया है कि कोई नेता अगर विरोधी पार्टी के बारे में सामान्य बात भी कह दे तो उसे गलत समझ लिया जाता है. उन्होंने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक भाषण पर की गई टिप्पणी का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि उन्होंने सिर्फ भाषण का वर्णन किया था, लेकिन उसे उनकी ओर से पीएम की तारीफ बताया गया और उनकी आलोचना की गई.

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राजनीति का माहौल के बारे में क्या कहा?

उन्होंने कहा कि यह देश की राजनीति का माहौल है जिसमें सामान्य टिप्पणी को भी गलत रंग दे दिया जाता है. थरूर पर पार्टी के कुछ नेताओं ने निशाना साधा था. कांग्रेस नेताओं सुप्रिया श्रीनेट और संदीप दीक्षित ने पीएम के भाषण की आलोचना की थी और थरूर की टिप्पणी पर सवाल उठाए थे. संदीप दीक्षित ने तो यहां तक कहा था कि अगर थरूर पीएम की बातों से इतने प्रभावित हैं तो पार्टी बदल लें.

थरूर ने आगे क्या कहा?

थरूर ने कहा कि वह केंद्र की नीतियों से कई मुद्दों पर असहमत हैं, लेकिन केंद्र सरकार को पूरी तरह नजरअंदाज करने से जनता का नुकसान होता है. उन्होंने कहा कि वह एक सांसद हैं और अगर कोई योजना उनके राज्य के लिए फायदेमंद हो सकती है तो वह केंद्र से बातचीत जरूर करेंगे. उन्होंने कहा कि ऐसा सहयोग राज्य और जनता के हित के लिए जरूरी है.

कांग्रेस के साथ रिश्ते पर क्या कहा?

थरूर और कांग्रेस के रिश्ते में दरार 2022 से बढ़ी, जब वह जी-23 समूह का हिस्सा थे जिसने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर नेतृत्व में बदलाव की मांग की थी. यह समूह धीरे-धीरे खत्म हो गया, लेकिन थरूर ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ा. वह इस चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे से हार गए. थरूर का कहना है कि वह पिछले 16 साल से कांग्रेस की विचारधारा के साथ खड़े हैं और पार्टी के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए.