नई दिल्ली: कांग्रेसी सांसद शशि थरूर और पार्टी हाईकमान के बीच खींचतान एक बार फिर सामने आ गई है. थरूर ने दुबई में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि देश की मौजूदा राजनीति में लोग सिर्फ विचारधारा की पवित्रता देखते हैं और दूसरी तरफ की बात सुनने को तैयार नहीं होते. उन्होंने कहा कि देश की व्यवस्था बहुदलीय है और इसमें केंद्र और राज्य की सरकारें अक्सर अलग विचारधारा की होती हैं, इसलिए जनता के काम के लिए विचारधारा से ऊपर उठकर सहयोग जरूरी है.
थरूर ने कहा कि आज यह माहौल बन गया है कि कोई नेता अगर विरोधी पार्टी के बारे में सामान्य बात भी कह दे तो उसे गलत समझ लिया जाता है. उन्होंने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक भाषण पर की गई टिप्पणी का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि उन्होंने सिर्फ भाषण का वर्णन किया था, लेकिन उसे उनकी ओर से पीएम की तारीफ बताया गया और उनकी आलोचना की गई.
Dr. @ShashiTharoor is right — ideological purity won’t build a nation. Cooperation will. Whoever is elected, work with them. In the end, the people must win — not the politics. 🇮🇳❤️ pic.twitter.com/93aJfczQFC
— DrTharoor_supporter (@INCTharoorian) November 25, 2025
उन्होंने कहा कि यह देश की राजनीति का माहौल है जिसमें सामान्य टिप्पणी को भी गलत रंग दे दिया जाता है. थरूर पर पार्टी के कुछ नेताओं ने निशाना साधा था. कांग्रेस नेताओं सुप्रिया श्रीनेट और संदीप दीक्षित ने पीएम के भाषण की आलोचना की थी और थरूर की टिप्पणी पर सवाल उठाए थे. संदीप दीक्षित ने तो यहां तक कहा था कि अगर थरूर पीएम की बातों से इतने प्रभावित हैं तो पार्टी बदल लें.
थरूर ने कहा कि वह केंद्र की नीतियों से कई मुद्दों पर असहमत हैं, लेकिन केंद्र सरकार को पूरी तरह नजरअंदाज करने से जनता का नुकसान होता है. उन्होंने कहा कि वह एक सांसद हैं और अगर कोई योजना उनके राज्य के लिए फायदेमंद हो सकती है तो वह केंद्र से बातचीत जरूर करेंगे. उन्होंने कहा कि ऐसा सहयोग राज्य और जनता के हित के लिए जरूरी है.
थरूर और कांग्रेस के रिश्ते में दरार 2022 से बढ़ी, जब वह जी-23 समूह का हिस्सा थे जिसने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर नेतृत्व में बदलाव की मांग की थी. यह समूह धीरे-धीरे खत्म हो गया, लेकिन थरूर ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ा. वह इस चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे से हार गए. थरूर का कहना है कि वह पिछले 16 साल से कांग्रेस की विचारधारा के साथ खड़े हैं और पार्टी के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए.