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Indian Air Force: भारतीय वायुसेना के लिए एतिहासिक है आज का दिन, मिलेगा नया ध्वज

Indian Air Force: भारतीय वायुसेना रविवार को अपने नए ध्वज का अनावरण करेगी. इस मौके पर प्रयागराज में भव्य और शानदार एयर शो का आयोजन किया जाएगा.

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Edited By: Amit Mishra
Indian Air Force: भारतीय वायुसेना के लिए एतिहासिक है आज का दिन, मिलेगा नया ध्वज

Indian Air Force Day: इंडियन एअरफोर्स रविवार (8 अक्टूबर 203) को प्रयागराज में वार्षिक वायु सेना दिवस परेड में अपने नए ध्वज का अनावरण करेगी. इसे पहले नौसेना ने अपने ध्वज में बदलाव किया था. रक्षा विभाग के जनसंपर्क अधिकारी ग्रुप कैप्टन समीर गंगाखेडकर ने बताया कि वायुसेना दिवस के अवसर पर परेड ग्राउंड पर वायुसेना प्रमुख वीआर चौधरी नए वायुसेना ध्वज का अनावरण करेंगे. वायुसेना अपनी स्थापना के 91वें वर्ष पूरी कर रही है.

एयर शो का होगा आयोजन

इस मौके पर संगम क्षेत्र में भव्य और शानदार एयर शो का आयोजन किया जाएगा. जिसमें चिनूक, चेतक, जगुआर, अपाचे, राफेल समेत कई विमान आपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगे. 8 अक्टूबर भारतीय वायुसेना के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन के रूप में दर्ज किया जाएगा. ये एक ऐतिहासिक दिन है जब वायुसेना को अपना नया ध्वज मिलेगा.

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कैसा है वायुसेना का नया ध्वज

अब ‘एनसाइन’ के ऊपरी दाएं कोने में फ्लाई साइड की ओर वायु सेना क्रेस्ट के शीर्ष पर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक चिह्न और उसके नीचे देवनागरी में ‘सत्यमेव जयते’ शब्द है. अशोक चिह्न के नीचे एक हिमालयी गरुड़ है जिसके पंख फैले हुए हैं, जो भारतीय वायुसेना के युद्ध के गुणों को दर्शाता है. हल्के नीले रंग का एक वलय हिमालयी गरुड़ को घेरे हुए है, जिस पर लिखा है 'भारतीय वायु सेना'.

1950 में हुआ था ध्वज में संशोधन

वायुसेना ने साल 1950 में अपने ध्वज में संशोधन भी किया था. बता दें कि रॉयल इंडियन एयर फोर्स के ध्वज में ऊपरी बाएं कैंटन में यूनियन जैक और फ्लाई साइड पर RIAF राउंडेल (लाल, सफेद और नीला) शामिल था. स्वतंत्रता के बाद, निचले दाएं कैंटन में यूनियन जैक को भारतीय तिरंगे और RIAF राउंडल्स को IAF ट्राई कलर राउंडेल या तिरंगे के राउंडेल के साथ प्रतिस्थापित करके भारतीय वायु सेना का ध्वज बनाया गया था.

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‘नभः स्पृशं दीप्तम्’ है आदर्श वाक्य

भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य ‘नभः स्पृशं दीप्तम्’ हिमालयी गरुड़ के नीचे देवनागरी के सुनहरे अक्षरों में अंकित है जिसे श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 11 के श्लोक 24 से लिया गया है और इसका अर्थ है ‘वैभव के साथ आकाश को छूना’.

 

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